April 1, 2021
स्वास्थ्य के नियमों के उल्लंघन का दण्ड-रोग : योग गुरु महेश अग्रवाल
भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र कोलार रोड भोपाल निरंतर कई वर्षो से लोगों को निःशुल्क योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा स्वस्थ रहते हुए जीने की कला सीखा रहा है एवं प्रेरित कर रहा है | कोविड 19 के समय ऑनलाइन माध्यम से भी लोगों को स्वस्थ रहने के लिए योग अभ्यास कराया जा रहा हैं |
केन्द्र के संचालक एवं योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि स्वास्थ्य के नियमों को तोड़ने का दण्ड प्रकृति हमें रोग के रूप में देती है। अपनी इस गलती को समझना और सुधारना अति आवश्यक है। भविष्य में हमें स्वास्थ्य के नियमों का पालन करके स्वस्थ रहने के लिये सावधान रहना चाहिये। अपने रोग के कारण स्वयं ढूँढकर, उसे दूर किये बिना उद्धार नहीं होगा। दवाइयों की पराधीनता एवं रोगों की पीड़ा से स्वतंत्र होने के लिये दृढ़ संकल्प, साधना तथा स्वास्थ्य रक्षा के ज्ञान को प्राप्त करने की आवश्यकता है। वर्तमान में जरुरी है कि मास्क का उपयोग आवश्यक रुप से करें एवं आपस में स्नेहिल दुरी रखते हुए सुरक्षित रहें | प्राकृतिक चिकित्सा से पहले प्राकृतिक जीवन को समझना आवश्यक है। स्वास्थ्य के नियमों का पालन करते हुए स्वस्थ रहने को प्राकृतिक जीवन कहा जाता है। प्राकृतिक जीवन जीने से हम बीमार नहीं पड़ेंगे और प्राकृतिक चिकित्सा की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। स्वास्थ्य के नियमों को तोड़ने का फल (दण्ड) रोग है। *जिन नियमों को तोड़ने से बीमार पड़ें, उन्हीं नियमों का पालन (प्रायश्चित) करके स्वस्थ होने को प्राकृतिक चिकित्सा कहते हैं।* एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक पहलू प्राकृतिक जीवन और दूसरा पहलू प्राकृतिक चिकित्सा है।
स्वास्थ्य के प्राकृतिक नियमों को तोड़ने के कारण ही हमें दु:ख, दर्द एवं रोग भोगने पड़ते हैं। स्वास्थ्य की देवी प्रकृति-माता की शरण में जाने से एवं स्वास्थ्य के नियमों पर अमल करने से हम सदा स्वस्थ रह सकते हैं। रोगों का एक मूल कारण- मल, कीटाणु रोगों का कारण नहीं हैं, शरीर के अंदर विकारी पदार्थ मल का जमा रहना कीटाणुओं के लिए बिस्तर का काम करता हैं | शरीर में नया कचरा डालना बन्द करिये और पुराना जमा मल निकाल कर साफ करिये! यदि हम प्राकृतिक एवं सात्विक आहार सेवन करें, निर्मल जल पियें और शुद्ध वायु में श्वास लें तो हमारे शरीर के भीतर कोई भी विकार नहीं रह सकता। हम रोज खाने-पीने व श्वास द्वारा जो कुछ भी शरीर के अन्दर भेजते हैं, उसका कुछ भाग हजम होकर हमें शक्ति देता है और शेष मल-मूत्र, पसीने व नाक द्वारा निकल जाता है।
हमारा खान-पान गलत होने, शुद्ध वायु में न रहने एवं शरीर में विकार अधिक मात्रा में उत्पन्न होने से रोज कुछ कचरा निकलने के पश्चात् भी कुछ जमा होता रहता है। वह जमा रहने वाला विकार नमी व गरमी के कारण, शरीर के अन्दर सड़ने व फैलने लगता है शरीर के जिस अंग पर उस विकार का प्रभाव पड़ता है वहाँ रोग उत्पन्न होता है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार शरीर में विकारी पदार्थ (गन्दगी) का जमा रहना ही रोगों का एक मूल कारण है।
शरीर के अलग-अलग भाग में विकारी पदार्थ (गन्दगी) पहुँचने से भिन्न -भिन्न प्रकार के रोग लक्षण देखने में आते हैं। अलग-अलग लक्षणों वाले सभी रोगों की जड़ में मल (विकार) ही रहता है। यह विजातीय पदार्थ रक्त में मिलने से बुखार, हृदय रोग व चर्म रोग होते हैं। आँतों में जमा रहने से कब्ज, गैस, दस्त, पेचिश, मस्से, बवासीर, भगंदर, हर्नियाँ एवं एपेंडिसाईटिस आदि पीड़ाएँ, मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ने की स्थिति में सिर दर्द, अनिद्रा, मिर्गी व पागलपन, गुर्दी में गन्दगी रहने से मूत्र त्याग में कठिनाई, जलन, पथरी आदि, फेफड़ों में विकार जमा होने से सर्दी, खाँसी, दमा, प्लयूरसी, निमोनिया क्षय (T.B.) एवं कैंसर आदि रोग होते है |
बिना दवा स्वास्थ्य के दस नियम
(1)प्रार्थना का दैनिक नियम, मन को शांति एवं दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करता है। (2) प्राणायाम करने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं एवं दीर्घ आयु प्राप्त होती है। (3) ब्रह्मचर्य – स्वास्थ्य, सुन्दरता एवं सफलता की कुन्जी है। (4) व्यायाम अथवा शारीरिक श्रम, पाचन क्रिया व रक्त संचालन को ठीक रखता है। दौड़ना या तैरना व्यायाम के श्रेष्ठ प्रकार हैं। (5) विश्राम स्वास्थ्य के लिये 5 घण्टे से 8 घण्टे तक आवश्यक है। (6) प्यास, भूख, छींक, मूत्र और मल त्याग आदि वेगों को रोकने से रोग होते है | (7) भूख लगने पर आवश्यकतानुसार सात्विक भोजन करना। प्राकृतिक, आहार की वस्तुएँ फल-सब्जियों का दैनिक सेवन स्वास्थ्य के लिये अनिवार्य है। (8) प्यास बुझाने के लिये आवश्यकतानुसार प्राकृतिक पेय जैसे शुद्ध जल, लस्सी, दूध, छाछ, फलों व सब्जियों का रस, नीरा व नारियल पानी पीना चाहिये। (9) सफाई में ही स्वास्थ्य समाया हुआ है। वस्त्र, शरीर, घर और गली की सफाई रोगों से बचाती है। (10) नशीली वस्तुएँ एवं विषैली दवाइयों के सवेन करने की आदत से बचने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।