पीवी सिंधु जीत के बाद बोलीं, ‘कांस्य पदक बहुत दबाव के बाद आया है’
टोक्यो ओलंपिक में बैडमिंटन सिंगल्स में कांस्य पदक जीतनेवाली पीवी सिंधु का कहना है कि अगर पिछले रियो ओलंपिक के रजत पदक से तुलना करें तो उनका यह कांस्य पदक अधिक दबाव और ज़िम्मेदारी के बाद आया है.
जब उनसे पूछा कि वो अपने दो पदकों की तुलना को कैसे देखती हैं तो उन्होंने कहा, “उस वक़्त मैं बहुत युवा थी और लोगों को मुझसे उम्मीदें नहीं थीं. मैं एक नई खिलाड़ी की तरह थी और मुझे लगता है कि वो पूरी तरह अलग था.”
“अगर मैं इसकी तुलना करूं तो वास्तव में इस बार बहुत अधिक ज़िम्मेदारी थी. बहुत उतार-चढ़ाव आए. मैंने काफ़ी अच्छा किया था. मैंने अपने गेम स्टाइल को बेहतर किया. यहां पर पदक जीतना निश्चित रूप से मेरे लिए बहुत ख़ूबसूरत लम्हा है.” उन्होंने कहा, “मैं बहुत-बहुत ख़ुश हूं कि मुझे लगातार मेडल मिले, पहले 2016 में और अब 2021 में. मैंने बहुत मेहनत की और अगर आप बहुत मेहनत करते हैं तो आपको पदक मिलता है.”
पीवी सिंधु ने सीधे सेटों में हे बिंग जिआओ को हराकर ओलंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में महिला एकल का कांस्य पदक अपने नाम किया है. सिंधु ने 53 मिनट तक चले मैच में 21-13, 21-15 से अपने विरोधी खिलाड़ी को हराया.
लगातार ओलंपिक मेडल जीतना कैसा?
सिंधु से अगला सवाल पूछा गया कि ओलंपिक में लगातार दो पदक जीतकर पहली भारतीय महिला बनने पर उन्हें कैसा लगता है तो इस पर उन्होंने कहा, “कुछ समय के लिए ऐसी किसी भावना ने बिल्कुल असर नहीं किया था, लेकिन मैच ख़त्म होने के बाद मैं नहीं जानती थी कि क्या कहा जाए. मैं केवल खड़ी थी और मैंने जब सोचा तो 5-6 सेकंड के बाद मैं वास्तव में चिल्लाई. इसके बाद मैंने अपने कोच को गले लगा लिया.”
सिंधु ने अपने कोच पार्क ताई-सेंग की भूमिका पर पत्रकारों से कहा, “वो वास्तव में बहुत ख़ुश हैं क्योंकि उन्होंने बहुत मेहनत की और मैं मिस्टर पार्क की बहुत शुक्रगुज़ार हूं क्योंकि आप जानते हैं कि वो पूरा समय मेरे साथ रहे. यहां तक कि वो लॉकडाउन और दूसरी वजहों से अपने घर भी नहीं जा सकते थे. मुझे विश्वास है कि वो अपने परिवार को याद कर रहे होंगे. हर रोज़ वो कहते थे कि हम कर सकते हैं और हमें ओलंपिक पर ध्यान केंद्रित करना है. तो आख़िरकार हमने साथ में यह साबित कर दिया कि हमने अच्छा किया. इसका श्रेय मिस्टर पार्क को भी जाता है.
सेमीफ़ाइनल में हार के दुख को कैसे मिटाया?
सेमीफ़ाइनल में हारने पर उनका कहना था कि वो बहुत दुखी थीं और इससे बाहर निकलना आसान नहीं था. सिंधु बताती हैं, “मैं सुबह जाग गई थी. बीते दिन मैं बहुत दुखी और निराश थी, लेकिन मेरे कोच ने मुझसे कहा कि हमारे पास एक दूसरा मौक़ा है और कांस्य पदक और चौथे स्थान में बहुत अंतर होता है. मेरे परिजन भी दुखी थे और मुझे प्रेरित कर रहे थे.” उन्होंने कहा कि वो पूरे दिन मैच के शुरू होने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकि दिमाग़ में लगातार वही चल रहा था. इस मैच के लिए उन्होंने क्या कोई अलग रणनीति अपनाई थी, इस सवाल पर वो कहती हैं कि उन्होंने कोई ख़ास रणनीति नहीं अपनाई थी. वो कहती हैं, “वो (हे बिंग जिआओ) बहुत अच्छी और काफ़ी मुश्किल खिलाड़ी हैं. वो खेल में बहुत अच्छी तरह उलझाती हैं और साथ ही वो बाएं हाथ की खिलाड़ी हैं. इसलिए मेरे लिए यह ज़रूरी था कि मैं रैली में रहूं क्योंकि मैं कोई ग़लती नहीं करना चाहती थी. वो मेरे हर आक्रामक स्ट्रोक को ले रही थीं, यह मेरे लिए बहुत ज़रूरी था कि मैं संयम रखूं और अगला स्ट्रोक खेलूं और मैच में बनी रहूं. तो मुझे लगता है कि पहले गेम में मैंने लीड बनाए रखी और वो उसे कवर कर रही थीं. मुझे लगता है कि हर पॉइंट काफ़ी महत्वपूर्ण होता है.”
जश्न मनाने पर उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से मैं यह करूंगी. मैं उस लम्हे में जी रही हूं और जितना हो सकता है उसका आनंद ले रही हूं.”
मैच के बाद सिंधु ने किससे बात की तो उन्होंने बताया, “मैंने अपने कज़ंस से बात की और वो बहुत ख़ुश थे और मैंने उन्हें बहुत याद किया. मैं वापस जाना चाहती हूं और उनके साथ इस लम्हे का आनंद लेना चाहती हूं. मैंने अपने प्रशंसकों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भी ख़ूब याद किया है.”
महामारी में मेडल जीतना कितना मुश्किल था?
महामारी के सवाल पर सिंधु ने कहा, “महामारी में मेडल जीतना सीधे तौर पर मुश्किल नहीं था क्योंकि जब आप मैच खेलने जाते हो तो आप किसी और चीज़ के बारे में नहीं सोचते हो. आप मैच पर ध्यान केंद्रित करते हो और अपना बेस्ट देते हो. आप जानते होंगे कि इस महामारी में लॉकडाउन रहा और ट्रेनिंग नहीं कर सकते थे. मैं अपने घर पर ट्रेनिंग कर रही थी. मेरे पिता मुझे एक्सरसाइज़ कराते थे, लेकिन जब लॉकडाउन हटा तो हमने ट्रेनिंग शुरू की. सरकार ने भी हमें पूरा समर्थन दिया.”
तो अब उनकी अगली योजना क्या है, क्या वो पदक की हैट्रिक लगाने की तैयारी करेंगी?
इस पर उन्होंने कहा, “मैं अभी इसी लम्हे में हूं और मुझे थोड़े समय के लिए यहीं रहने दीजिए. यह बहुत अच्छा सवाल है. मैं यह शुरू करूंगी, लेकिन अभी नहीं.”