आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजभवन तुरंत निर्णय ले.. कांग्रेस

- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राज्य के सर्व समाज में नई आस पैदा हुई है – दीपक बैज
रायपुर। कांग्रेस ने आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजभवन से तुरंत हस्ताक्षर करने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद छत्तीसगढ़ के सर्वसमाज के लोगों में एक नई आस जगी कि पिछले दो साल से अधिक समय से उनका अधिकार जो राजभवन में बंधक है उस पर अब फैसला हो जायेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की बदनीयती के चलते ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पारित 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक विगत 2 साल से अधिक समय से राजभवन में लंबित है। भाजपाइयों के षड्यंत्र के चलते ही छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक अबादी को उनके शिक्षा और रोजगार के अधिकार को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले प्रावधान के 76 प्रतिशत आरक्षण से वंचित रखा गया है। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जाति के लिए उनकी आबादी के अनुरूप 13 प्रतिशत आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान उस नवीन आरक्षण विधेयक 2022 में किया है। सभी वर्गो के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले ईडब्ल्यूएस के लिए भी 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था उस विधेयक में है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के षडयंत्र और दुर्भावना के चलते ही राजभवन की आड़ में आरक्षण विधेयक को लंबित रखा गया है।
छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक 2022 के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सामाजिक न्याय और आम छत्तीसगढ़िया जनता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों के हक और अधिकार से संदर्भित महत्वपूर्ण नवीन आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर 2022 से राजभवन में अनुमोदन के लिए आज तक लंबित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बताएं कि महामहिम से उक्त 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर शीघ्र हस्ताक्षर करने की अपील कब करेंगे?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भाजपा सरकार और राजभवन दोनों सर्वसमाज के हित में हठधर्मिता छोड़ कर आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करवा कर राज्य की अधिसंख्यक आबादी के अधिकारों को कानूनी जामा पहनायें।