राजभवन शिक्षकों सम्मान नहीं अपमान हुआ – कांग्रेस

 
भंडारे के लंगर में खाना लेने वालो के जैसे शिक्षकों को लाइन में लगवाया गया


रायपुर।
 शिक्षक दिवस के राजभवन में शिक्षकों का सम्मान नहीं अपमान किया गया। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शिक्षक दिवस के दिन प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों का सम्मान किये जाने की राजभवन में परंपरा है। यह सम्मान इन शिक्षकों की शिक्षा के प्रति समर्पण सेवा भाव तथा राष्ट्र निर्माण की प्रतिबद्धता के लिये वर्षों से दिया जाता है। छत्तीसगढ़ के राजभवन में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में जिस प्रकार से शिक्षकों का सम्मान किया गया वह बेहद ही आपत्तिजनक था। सम्मानित किये जाने वाले गुरूजी लोगों के हाथ में पहले से प्रमाण पत्र स्मृति चिन्ह पकड़ा दिया गया और वे बारी-बारी से अपना सम्मान पत्र खुद लेकर राज्यपाल महोदय के पास पहुंचते गये और महामहिम ने उनके सम्मान पत्र पर हाथ लगाकर फोटो खिचवाने की औपचारिकता निभाई।


प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह पूरा मंजर सम्मान का कम अपमान का अधिक था। राजभवन और शिक्षा विभाग के कार्यक्रम आयोजनों के पास इतना भी सामान्य शिष्टाचार नहीं था कि वे शाल, मोमेंटो, सम्मान पत्र आदि को राज्यपाल मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री के हाथो सम्मानित होने वाले शिक्षकों को दिलवाते। भंडारे के लंगर में खाना लेने वालो के जैसे शिक्षकों को लाइन में लगवाया गया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राजभवन में शिक्षकों के साथ जो हुआ वह भाजपा सरकार और राजभवन के सामंती आचरण को दिखाता है। मंच पर बैठे लोग भूल रहे है कि उनकी पद प्रतिष्ठा भी जनता ने दिया है। वे मंच पर है तो यह देश के प्रजातंत्र की देन है। शिक्षक समाज का सबसे सम्मानित वर्ग होता है। सम्मानित करने के बहाने बुलाकर अपमानित किया जाना आपत्तिजनक है। राजभवन और सरकार अपने इस आचरण के लिये प्रदेश के शिक्षकों से माफी मांगे।

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