November 25, 2024

जगन्नाथ की रथ यात्रा एवं पंढरपुर की वारी भारत के यथार्थ की प्रस्तुति है : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल

वर्धा. ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पारिवारिक जीवन का आदर्श प्रस्तुत करती है वहीं महाराष्ट्र में पंढरपुर की वारी लय और ताल के साथ एकात्म भाव को दर्शाती है. रथयात्रा और वारी भारत के यथार्थ को प्रस्तुत करतीं हैं. यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किए. प्रो. शुक्ल’ओडिशा -महाराष्ट्र की यात्राएं : सांस्कृतिक-आध्यात्मिक एकात्मता’ विषय पर एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत शुक्रवार, 19 मार्च को आॅनलाइन व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रूप में ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के कुलपति प्रो. आई. रामब्रह्मम तथा डाॅ. दुर्गा शरण रथ, श्री अनिल महाराज अहेर, डाॅ. भरत कुमार पंडा ने संबोधित किया.
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि ईश्वर हमारे बीच ही है. जगन्नाथ रथयात्रा और पंढरपुर की वारी का जो भाव ह्रदय में बनता है, वह भारत की एकता और श्रेष्ठता का उदाहरण है. ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के कुलपति प्रो. आई. रामब्रह्मम जगन्नाथ की रथयात्रा और पंढरपुर की वारी की समानताओं पर अपने विचार रखे. डॉ. दुर्गा शरण रथ ने यात्रा की विशेषता और उसके सामाजिक- सांस्कृतिक संदर्भों की चर्चा की. उन्होंने रथयात्रा को सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि रथयात्रा विश्व बंधुत्व और सर्व धर्म समभाव का उदाहरण है. अनिल महाराज अहेर ने यात्रा और वारी की समानताओं पर विचार रखते हुए कहा कि यात्रा यानि ‘या तरा’. अर्थात यह भगवान को प्राप्त करने का साधन है. आलंदी से पंढरपुर के रास्ते वारी में अखंड नाम स्मरण होता है और यह  भगवान को सगुण साकार करने का यत्न है. ओडिशा एवं महाराष्ट्र की साझी सांस्कृतिक विशिष्टता को रेखांकित करते हुए डॉ. भरत कुमार पंडा ने कहा कि रथयात्रा और वारी आध्यात्मिक स्वभाव को प्रकट करतीं हैं. सहयोग तथा एकात्मता की भावना विकसित करती इन यात्राओं से जीवन यात्रा की सीख मिलती है. कार्यक्रम में जगन्नाथ स्तुति में में ‘जणाण’ शुभस्मिता दाश ने तथा पांडुरंग स्तुति में ‘अभंग’ डॉ. मीरा निचले ने प्रस्तुत किया. स्वागत वक्तव्य एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुशील कुमार त्रिपाठी ने दिया. डाॅ. ज्योतिष पायेङ ने धन्यवाद ज्ञापित किया. राष्ट्र गान के साथ कार्यक्रम की सम्पूर्ति की गयी. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीरा निचले और शुभस्मिता दाश ने किया.

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