दिल्ली शराब नीति मामले में रेड्डी बना सरकारी गवाह

नई दिल्ली गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया, लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से इसी मामले में महीनों पहले हैदराबाद की एक कंपनी के मालिक को गिरफ्तारी के बाद छोड़ दिया गया और वह सरकारी गवाह बन गया। इस कहानी में जो खास बात है वह यह कि मालिक ने गिरफ्तारी के बाद चुनावी चंदा देना शुरू कर दिया।
चुनाव आयोग द्वारा जारी इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा से खुलासा हुआ है कि इसी मामले में आरोपी पी. शरत चंद्र रेड्डी से जुड़ी एक कंपनी ने २०२२ में भारतीय जनता पार्टी को पांच करोड़ बतौर चंदा दिया था। रेड्डी को, चंदा देने से ठीक पांच दिन पहले ही हिरासत में लिया गया था। दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में रेड्डी के सरकारी गवाह बनने के बाद भाजपा को २५ करोड़ बतौर चंदा दिया गया। हैदराबाद बेस्ड् कंपनी अरबिंदो फार्मा लि. के निदेशकों में से एक हैं शरत रेड्डी, जिन्हें १० नवंबर २०२२ को शराब घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। न्यूज लॉन्ड्री स्क्रॉल और न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कंपनी अरबिंदो फार्मा ने १५ नवबंर २०२२ को ५ करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे, जिन्हें भाजपा ने २१ नवंबर २०२२ को भुना लिया।
जून २०२३ में शरत रेड्डी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में सरकारी गवाह बन गए। नवंबर २०२३ में अरबिंदो फार्मा ने भाजपा को २५ करोड़ रुपए और दिए। हालांकि, इस कंपनी ने कुल मिलाकर ५२ करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, जिनमें से ३४.५ करोड़ रुपए, भाजपा को मिले। ईडी की गिरफ्तारी से पहले इस कंपनी ने भारत राष्ट्र समिति को १५ करोड़ रुपए तेलगु देशम पार्टी को २.५ करोड़ रुपए का चंदा दिया था।
ईडी का आरोप है कि साऊथ ग्रुप के लोगों ने विजय नायर के जरिए आम आदमी पार्टी को लगभग १०० करोड़ रुपए की रिश्वत दी। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता को इसी मामले में गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने शरत पर दिल्ली में शराब लाइसेंस प्रक्रिया में रिश्वत लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया। १ जनवरी २०२३ को दिल्ली की एक अदालत ने शरत को इस मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी।

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