यूनिटी अस्पताल में बरती गई घोर लापरवाही के विरोध में मृत युवती के परिजनों ने कलेक्टर कार्यालय में सौंपा ज्ञापन
बिलासपुर/ अनिश गंधर्व। शहर के निजी अस्पतालों में बरती जा रही घोर लापरवाही पर पर्दा डाला जा रहा है। पीडि़तों की शिकायतों पर अमल नहीं किए जाने के कारण कई अस्पताल कसाईखाना बन चुके हैं। निजी अस्पताल के संचालक अपना काला सच छिपाने के लिए मृत लोगों को पैसे वसूलने के लिए जीवित बताकर उनके परिजनों परेशान कर रहे हैं। शहर के चिकित्सा संस्थानों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण उनके हौसले बुलंद हैं। राज्य में ऊंचे पदों पर बैठे मंत्री व शासकीय अधिकारियों के दबाव में कई अस्पताल बिना मापदंड के संचालित हो रहे हैं। शहर के यूनिटी अस्पताल में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है। गले में गांठ की तकलीफ झेल रही किरण वर्मा के उपचार में घोर लापरवाही बरती गई जिससे उसकी मौत हो गई। यूनिटी अस्पताल में हुई युवती के मौत के मामले की शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आज कलेक्टर कार्यालय में इस मामले उचित जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर मृत युवती के परिजनों ने ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन सौपने आये परिजनों ने बताया कि किरण वर्मा को 7 मार्च को अस्पताल में दाखिल कराया गया था। जांच पड़ताल करने के बाद युनिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने ठीक कर देने का हवाला देकर उपचार शुरु किया था। किंतु यहां उपचार में घोर लापरवाही बरतने के कारण किरण वर्मा की मौत हो गई। मौत का काला सच छिपाने के लिए यूनिटी अस्पताल के कर्मचारियों ने मृतिका को 7 मार्च के बदले 27 फरवरी को अस्पताल में दाखिल किया जाना बताया जा रहा है। इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर परिजनों द्वारा जोरदार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, किरण वर्मा को 7 मार्च 2025 को गले में ट्यूमर निकालने के लिए यूनिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन से पहले उन्हें एनेस्थीसिया दिया गया, लेकिन इसके बाद वह होश में नहीं आईं और कोमा में चली गईं। परिजनों का आरोप है कि जब उनकी हालत बिगड़ने लगी, तब भी अस्पताल प्रशासन ने सही समय पर इलाज नहीं किया और उन्हें मरीज से मिलने तक नहीं दिया।मामले में भर्ती प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। अस्पताल की रिपोर्ट में भर्ती की तारीख 27 फरवरी 2025 दर्ज की गई है, जबकि किरण को असल में 7 मार्च को भर्ती किया गया था। इस अनियमितता ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और संदेह बढ़ा दिया है कि मरीजों के रिकॉर्ड में हेरफेर किया जा रहा है।घटना की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। इस टीम में एक महिला गायनाकोलॉजिस्ट और दो मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं, जो पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंपेंगे।