नीली जींस में यूजेनिक्स के अवशेष

 

कल्पना पांडे

कपड़े बेचने वाली ‘अमेरिकन ईगल’ नामक आर्थिक घाटे में चल रही कंपनी ने 23 जुलाई 2025 को गोरी त्वचा, सुनहरे बाल और नीली आँखों वाली अभिनेत्री सिडनी स्वीनी को बतौर मॉडेल लेते हुए एक विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन में ‘सिडनी स्वीनी हैज ग्रेट जींस’ नामक कैचलाइन का उपयोग किया गया। अंग्रेजी के ‘Genes’ (जीन या जनुक) और ‘Jeans’ (जींस पैंट्स) जैसे समान ध्वनि वाले शब्दों पर खेल किया गया। इस शब्द खेल का उपयोग कपड़ों और आनुवंशिक विशेषताओं दोनों के संदर्भ में किया गया। विज्ञापन में स्वीनी कहती हैं—”जनुक माता-पिता से संतानों को जाते हैं, जिससे बालों का रंग, व्यक्तित्व, और यहाँ तक कि आँखों का रंग भी तय होता है।” कैमरा उनकी डेनिम जींस और जैकेट से चेहरे की ओर और नीली आँखों की ओर मुड़ता है। उसी समय वह कहती हैं—”मेरी जींस नीली हैं।” अर्थात, उनकी आँखें नीली हैं यह उनके जनुकों के कारण है। इस प्रकार ‘गुड जींस’ (अच्छी जींस/जनुक) इस शब्द खेल को कपड़ों और आनुवंशिक विशेषताओं दोनों संदर्भों में उपयोग किया गया। प्रश्न यह है—कपड़ों के विज्ञापन में जनुकों का संदर्भ क्यों? और वह भी ‘श्रेष्ठ’ मानी जाने वाली नीली आँखों से? जाहीर है कि यह विज्ञापन सौंदर्य के नाम पर शुद्ध रक्त और जनुक श्रेष्ठता की नाजी कल्पनाओं को हवा दे रहा है।

यह विज्ञापन अभियान टिकटॉक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर धीरे-धीरे हर जगह दिखने लगा। नेटिज़न्स का ध्यान इस विज्ञापन ने आकर्षित किया। आलोचना शुरू हो गई। माता-पिता से अगली पीढ़ी को जनुक जाते हैं, लेकिन जींस के विज्ञापन में इसका उल्लेख करने की आवश्यकता क्या? “मेरी जींस (जनुक) नीली है,” ऐसा कहते हुए कैमरा केवल आँखों पर केंद्रित करने का कारण क्या, कपड़ों पर नहीं? ऐसे प्रश्न उठने से यह विवाद सीधे यूजेनिक्स (वंशश्रेष्ठता) के आरोपों की ओर मुड़ गया। आगे, बड़े पैमाने पर नाजीवाद और नस्लवाद के विज्ञापन के आरोप भी लगाए गए। उन कुछ दिनों में अमेरिकन ईगल के (NYSE: AEO) शेयर कीमतें 24% बढ़ गईं। यह वृद्धि दर 2000 के बाद की सबसे बड़ी थी। यह विज्ञापन इतना चर्चा में आया कि, इसकी तुलना ब्रूक शील्ड्स की 1980 के दशक की कैल्विन क्लेन विज्ञापनों से की गई। दुकानदारों के पास सिडनी स्वीनी की जींस तेजी से बिक गईं। कुछ दिनों में ही विज्ञापन वापस ले लिया गया, लेकिन कंपनी का काम हो चुका।

फिर भी मुद्दे पर चर्चा यहीं नहीं रुकी। अभिनेत्री सिडनी स्वीनी ने इस विज्ञापन के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कंपनी ने विवाद शांत करने का प्रयास किया, लेकिन तब ही अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसके समर्थन में ट्वीट किया। उपराष्ट्रपति जे.डी. वैंस ने उसे “पूर्ण अमेरिकी सौंदर्य” कहा, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने (4 अगस्त, सोमवार) ट्विटर पर कहा, “सिडनी स्वीनी, पंजीकृत रिपब्लिकन, यह उसकी सबसे लोकप्रिय विज्ञापन है।” उन्होंने यह सार्वजनिक रूप से घोषित किया। सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करने वाली फॉक्स न्यूज ने भी इस विज्ञापन का समर्थन किया। मीडिया के गहन जांच के बाद यह भी स्पष्ट हुआ कि, वह वास्तव में रिपब्लिकन पार्टी की पंजीकृत मतदाता है। सिडनी स्वीनी ने 14 जून 2024 को फ्लोरिडा मतदाता पंजीकरण में रिपब्लिकन पार्टी के लिए पंजीकरण किया था, यह उसके आधिकारिक रिकॉर्ड से सिद्ध हुआ। प्रतिष्ठित मीडिया—द गार्डियन, बज़फीड, न्यूज़वीक आदि—ने इस बात पर आधारित रिपोर्ट प्रकाशित की। 2022 में सिडनी स्वीनी की माँ के जन्मदिन की पार्टी में उसके द्वारा आमंत्रित कुछ अतिथियों ने MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) छाप वाली टोपियाँ पहनी थीं, ये फोटो भी चर्चा में आए। इन सबके उजागर होने के बाद ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से स्वीनी के विज्ञापन अभियान की प्रशंसा की।

डोनाल्ड ट्रंप की नस्लवादी राजनीति में वे गोरे वर्चस्ववाद (व्हाइट सुप्रीमेसी), सांस्कृतिक भय और पहचान के संकट की राजनीतिक भाषा से वह गोरे मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। “गोरे लोग अल्पसंख्यक बन गए हैं, उनका सांस्कृतिक वर्चस्व खतरे में है,” ऐसा संकेत देते हुए ट्रंप लगातार ऐसी भाषा को प्राथमिकता देते हैं। ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन को उन्होंने कई बार अराजक या अपराधी कहा, जबकि चार्लोट्सविले में ‘यूनाइट द राइट’ जैसे हिंसक प्रदर्शनों को कानून की चौखट में माना। डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को “गोरों की सामाजिक स्थिति गिर रही है” इस भावना से ग्रस्त लोगों की पार्टी के रूप में जाना जाता है। इसलिए सिडनी का रिपब्लिकन मतदाता होना, वंशश्रेष्ठता को मजबूत करने वाला विज्ञापन करना, और उसके पक्ष में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राष्ट्रपति कार्यालय का खड़ा होना, यह राजनीतिक दृष्टि से उनके नीतियों के अनुरूप ही है।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चुंग ने भी इस विज्ञापन पर चल रही आलोचना का मजाक उड़ाते हुए “कैंसल कल्चर का अतिरेक” कहकर इस विवाद को खारिज किया। उनके अनुसार, कैंसल कल्चर ने सीमाएं पार कर दी हैं। दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों ने इसे ‘वोक एक्स्ट्रीमिज्म’ (जागरूकता का अतिरेक) कहा। कुछ छोटी गलती होने पर भी बड़े पैमाने पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आने वाली यह कैंसल कल्चर का उदाहरण है, ऐसा वे कहते हैं। प्रवक्ता के अनुसार, लोगों ने इसका अर्थ गलत निकाला और अनावश्यक बहिष्कार अभियान चलाया।

दूसरी ओर, इस विज्ञापन अभियान पर अभी भी यूजेनिक्स के अवशेषों को खाद-पानी देने की तीव्र आलोचना की जा रही है। ‘अमेरिकन ईगल’ ने सिडनी स्वीनी की ‘मेरी जींस (जनुक/आँखों का रंग) नीली है’ यह घोषणा “अच्छी जींस” विज्ञापन में दिखाई, ऐसा माना जाता है। “गुड जींस” यह शब्द वर्तमान समय में किसी के सौंदर्य की प्रशंसा के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, इस सरल वाक्य के पीछे इतिहास का एक जटिल, भयानक संदर्भ छिपा है—यूजेनिक्स। अर्थात, ‘पसंदीदा’ गुणों के संरक्षण के लिए मानव प्रजनन पर नियंत्रण रखने की अवधारणा—चयनित प्रजनन। यह अवधारणा 19वीं शताब्दी में उभरी, और 20वीं शताब्दी में लोकप्रिय हुई। ‘मानव जाति सुधार’ के नाम पर इस अवधारणा को उचित माना गया, लेकिन वास्तव में यह नस्लवाद, भेदभाव और जबरदस्ती से जुड़ी थी। स्टीवन चुंग जैसे राजनेता जब ऐसी भाषा का समर्थन करते हैं, तब वह केवल ‘कैंसल कल्चर’ का विवाद नहीं होता—वह भेदभाव को फिर से बढ़ावा देने का खतरनाक प्रयत्न होता है।

यूजेनिक्स विचार से समाज में पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों को वैज्ञानिक आधार मिला, जिससे संस्थागत और सामाजिक स्तर पर उनके जड़ों को मजबूती मिली। यह अवधारणा कभी विज्ञान और राजनीति के स्तर पर आगे आई थी। हालांकि, नस्लश्रेष्ठता, जबरदस्ती की नसबंदी और नाजीवाद से जुड़ने के बाद, आज यह अवधारणा पूरी तरह नकार दी गई है। लेकिन, उसमें ‘उचित’, ‘शुद्ध’, और ‘आकर्षक’ गुणों की भावना अभी भी मीडिया और विज्ञापनों में सूक्ष्म रूप में दिखती है। इसे ‘मार्केटिंग गलती’ कहकर छोड़ देना भोलापन होगा। यह जानबूझकर की गई छेड़छाड़ है। सौंदर्य, शुद्धता और श्रेष्ठता को “अच्छे जनुक” कहकर बेचने वाले कॉर्पोरेट्स केवल कपड़े नहीं बेचते—वे भेदभाव की भावना को फिर से बोते हैं।

ट्रंप ने इस विज्ञापन के पक्ष में भूमिका क्यों ली, यह समझने के लिए उनकी नीतियों का अवलोकन करना चाहिए। जनवरी से राष्ट्रपति ने मेक्सिको की सीमा क्षेत्र में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर आश्रय मांगने वालों को प्रवेश नकारा, पूरे अमेरिका में प्रवासन छापों के आदेश दिए, और ‘सेल्फ डिपोर्टेशन’ नामक आक्रामक नीति की घोषणा की, तीसरी दुनिया के देशों पर निर्गमन का दबाव बढ़ाया। इतना ही नहीं, विविधता, समानता, और समावेशन (DEI) उपायों को रद्द करने के लिए कदम उठाए। प्रशासन आज गोरे, कट्टर, MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) मतदाताओं द्वारा निचली स्तर पर पहुँच गया है। ट्रंप ने अपने समर्थकों को चुनाव सभाओं में “गुड जींस के” होने का कहा। पिछले अक्टूबर में उन्होंने अवैध प्रवास करने वाले हत्या करने वाले लोगों को “बैड जींस” के होने का घोषित किया। प्रचार में, राष्ट्रपति ने “अवैध प्रवासकर्ता हमारे देश के रक्त में विष घोल रहे हैं,” ऐसा कहा, जो सीधे एडॉल्फ हिटलर के ‘माइन काम्फ’ नामक आत्मकथा के शब्दों से मेल खाता है। 2024 के अक्टूबर के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार, दो-तिहाई रिपब्लिकन मतदाताओं ने इसे अनुमोदन दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, टीवी होस्ट टकर कार्लसन से लेकर अरबपति सीईओ एलन मस्क तक कई लोगों ने ‘ग्रेट रिप्लेसमेंट थियरी’ (फ्रेंच लेखक कैम्यू, 2010) को बढ़ावा दिया है। इसके अनुसार, गोरे अमेरिकी जल्द ही अल्पसंख्यक होने के खतरे में हैं, और गैर-गोरे प्रवासियों के कारण नौकरियाँ खोने का भय है। 2024 की चुनाव प्रचार में रिपब्लिकन पार्टी ने ऐसा दावा किया कि, डेमोक्रेटिक पार्टी प्रवासियों को चुनाव के लिए आयात कर रही है। वर्तमान अमेरिकी राजनीति रोज एक सर्कस बनती जा रही है। ट्रंप और उनकी पार्टी ने इस अभियान का समर्थन देकर अपनी असली पहचान उजागर की है। यह पार्टी अब केवल दक्षिणपंथी नीतियों की नहीं बल्कि सीधे नस्लश्रेष्ठता की प्रवक्ता बन गई है। ‘अमेरिकन ईगल’ जैसी कंपनियाँ इस विचारधारा को बाजार में चमकदार कागज में लपेटकर बेचती हैं, और दक्षिणपंथी राजनेता इसे वैचारिक वैधता देते हैं।

यूजेनिक्स की सूक्ष्म छाया अभी भी टिकी हुई है। मीडिया और विज्ञापनों में ‘सुंदर, शुद्ध, आकर्षक’ गुणों को अभी भी “अच्छे जनुक” के रूप में दिखाया जाता है। यूजेनिक्स आज नकार दी गई है, फिर भी उसके नीचे भेदभाव की जड़ें अभी भी समाज में हैं। ‘गुड जींस’ ये आज सहज बोले जाने वाले शब्द हैं लेकिन उनके पीछे यूजेनिक्स के भयंकर वारिसे का इतिहास है। ये शब्द सहज, विनोदी या फैशनेबल मानकर स्वीकार किए गए तो वह भयंकर ऐतिहासिक वारिसा मिट जाएगा। आज भी यदि हम ऐसी भाषा को सहन करेंगे, तो कल वह फिर से भेदभाव, घृणा और हिंसा की राजनीति को समर्थन करेगी। कॉर्पोरेट लाभ और दक्षिणपंथी राजनीति मिलकर जब नस्लश्रेष्ठता की पुनर्रचना करते हैं, तो इससे उभरी भावनाएं लोगों के दिमाग पर छाप छोड़ती हैं। सौंदर्य, शुद्धता और श्रेष्ठता के मापदंडों को “जींस” के रंग से जोड़ना मतलब अतीत के अपराधों को वर्तमान फैशन में पैक करके बेचना। यह केवल बाजार की गलती नहीं—यह समाज को अतीत की सबसे घातक विचारों की ओर ले जाने वाली बात है।

विज्ञान के नाम पर समाज को दी गई इस चालना ने नस्लवाद, विकलांगता-द्वेष, स्त्रीद्वेष, और सामाजिक अन्याय को ‘वैज्ञानिक’ ढंग से आधिकारिकता दी। करोड़ों लोगों की जबरदस्ती नसबंदी की गई, अल्पसंख्यकों पर अमानुषिक क्रूरता हुई, और इस विचार ने नाजी नरसंहार को भी दार्शनिक आधार दिया। आज भी राजनीति या मीडिया में ‘गुड जींस’ की बात आए, तो उसकी पृष्ठभूमि याद रखना आवश्यक है। विज्ञान का उपयोग मानवीय समानता के लिए होना चाहिए, भेदभाव या नस्लश्रेष्ठता के लिए नहीं। यूजेनिक्स का इतिहास इसी अतिभयानक खतरे की आभास कराता है। नीली जींस का यह विज्ञापन यूजेनिक्स के अवशेषों का उदाहरण है।

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