तकनीक की भाषा बने संस्‍कृत : कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा है कि संस्कृत भाषा के वैज्ञानिक पक्षों का वर्तमान में अत्याधिक महत्त्व  है। संस्कृत भाषा का उपयोग कंप्‍यूटर प्रणाली में होना चाहिए। कुलपति प्रो. शुक्ल संस्कृत सप्ताह उत्सव के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे । उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020  में संस्कृत भाषा के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा सभी भारतीय भाषाओं का मूल और भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार है। भारतीय संस्कृति के सभी नियमों में संस्कृत भाषा व्याप्त है। समस्त ज्ञान और विज्ञान तथा राष्ट्र के सभी उपकरणों के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत आवश्यक है। उन्होंने संस्कृत को विज्ञान, तकनीक एवं कानून की भाषा के रूप में सर्वोपरि करार देते हुए कहा कि संस्कृत सम्पूर्ण भारत वर्ष में बोली और समझी जाती है। सभी भारतीय भाषाएँ और बोलियाँ शब्द सम्पदा हेतु संस्कृत भाषा को ग्रहण करती हैं। संस्कृत भाषा का शब्दकोश भी सर्वाधिक सुदृढ है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में देश के चार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया।  केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. के.बी. सुब्बारायडु ने कहा कि संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा और भारतीय भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा से ही भारतीय संस्कृति समृद्ध है। संस्कृत भाषा सभी भारतीयों का जीवन है। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय ने संस्कृत शिक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए संस्कृत भाषा में अध्ययन और अध्यापन के महत्त्व को रेखांकित किया। श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति प्रो. गोपबन्धु मिश्र ने आधुनिक संस्कृत भाषा शब्दावली का प्रयोग, भारतीय भाषाओं में संस्कृत का महत्त्व और संस्कृत के भाषा विज्ञान पर विस्तार से प्रकाश डाला। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने संस्कृत भाषा के संदर्भ में पुराणों के संदर्भ में आयुर्वेद, वैदिक मन्त्रों का महत्त्व स्पष्ट किया। उन्होंने  सरल संस्कृत द्वारा पाठ्यपुस्तकों के निर्माण कार्य की जानकारी भी प्रदान की।  कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने दिया। संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन डॉ. वागीश राज शुक्ल ने किया। कार्यक्रम संयोजक, संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रदीप ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!