सरदार पटेल के दर्शन को राजनीतिक प्रणाली में उतारने की जरूरत : पद्मश्री रामबहादुर राय
वर्धा. सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता का दर्शन और सरदार पटेल’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास, नई दिल्ली के अध्यक्ष पद्मश्री रायबहादुर राय ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक दर्शन को समझने, उसका अनुभव करने और उसे भारत की राजनीतिक प्रणाली में उतारने की जरूरत है। अगर हम ऐसा कर सकें तो भारत जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है उसपर तेजी से बढे़गा और दुनिया भारत की तरफ देखेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। यह व्याख्यान भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित तथा दर्शन एवं संस्कृति विभाग की ओर से तुलसी भवन स्थित महादेवी सभागार में आज़ादी के अमृत महोत्सव के अतंर्गत समिश्र पद्धति से आयोजित किया गया था।
पद्मश्री रायबहादुर राय ने कहा कि सरदार पटेल के जीवन के पहलुओं को समझने के लिए उनकी पुत्री मणिबेन पटेल की डायरी को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल शब्दो में अपनी बात कहते थे। वे सर्वत्र समभाव देखने वाले व्यक्ति थे। उनका दर्शन किताबों से नहीं अपितु अनुभव से विकसित हुआ था। उन्होंने अनुभव किया, उसका निचोड़ निकाला और उसे कर्मो में परिवर्तित किया। पद्मश्री राय ने सरदार पटेल के जीवन से जुडे़ प्रसंगों का वर्णन करते हुए पृथक् निर्वाचन प्रणाली, रियासतों का विलय और इस संबंध में संविधान सभा में हुई चर्चाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गांधीजी के जाने के बाद उनका दर्शन सरदार पटेल में पाया जा सकता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि सरदार पटेल ने रियासतों के विलय को लेकर जो भूमिका निभायी वह भारत को एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने हेतु एकत्र होने का आह्वान था। सरदार पटेल ने सबके साथ समानता का व्यवहार करते हुए रियासतों को एक करने का चुनौती भरा कार्य किया और उनका यह कार्य उन्हें एकत्रीकरण के दार्शनिक के रूप में स्थापित करता है। सरदार पटेल एकता के प्रतिपादक राजनेता के रूप में एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनका भारत देश हमेशा कृतज्ञ रहेगा।
स्वागत वक्तव्य प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने दिया। शुरुआत दीप दीपन, सरदार पटेल के छायाचित्र पर माल्यार्पण तथा कुलगीत से की गयी। गोपाल साहू ने भारत वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा आभार दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने माना।
इस अवसर पर प्रतिेकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. प्रीति सागर, प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, प्रो. कृपाशंकर चौबे, प्रो. अनिल कुमार राय, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. हरीश हुनगुंद, डॉ. जगदीश नारायण तिवारी, डॉ. बीरपाल सिंह यादव, डॉ. राजीव रंजन राय, डॉ. वरूण कुमार उपाध्याय, आनंद भारती, डॉ. रणंजय सिंह, डॉ. श्रीनिकेत मिश्र सहित विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे। आभासी माध्यम से बड़ी संख्या में अध्यापक एवं विद्यार्थी सहभागी हुए।