November 23, 2024

निगम के गोठानों में सात सौ क्विंटल गोकाष्ठ तैयार

बिलासपुर. शहर समेत जिले में होली पर होलिका दहन के लिए डांग गाड़े जा चुके हैं। होली पर्व पर हर साल बड़े पैमाने पर लकड़ियों का दहन किया जाता है। इस साल भी नगर निगम की ओर हरे-भरे पेड़ों को बचाने के लिए होलिका दहन गोकाष्ठ करने के लिए गोबर की लकड़ी (गोकाष्ठ ) तैयार कराई जा रही है। इसके लिए गोठान के स्व सहायता समूहों को जिम्मा दिया गया है। नगर निगम के चारों गोठानों में इस बार करीब 7 सौ क्विंटल गोकाष्ठ तैयार कराई जा चुकी है।शहर में हर बार 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी होलिका का दहन किया जाता है, जिसमें सैकड़ों क्विंटल लकड़ी जला दी जाती है। वहीं इसे रोकने के लिए और सही तरीके से होलिका दहन की परंपरा का निर्वहन करने के लिए होलिका दहन के लिए गोबर से बनी गोकाष्ठ को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत नगर निगम ने चारों गोठान को गोकाष्ठ बनाने के निर्देश दिए थे। पिछले एक महीने से गोकाष्ठ बनाई जा रही है। मोपका, सरकंडा, सकरी और सिरगिट्टी गोठान में अभी तक सात सौ क्विंटल गोकाष्ठ तैयार कर ली गई है।  निगम प्रबंधन के मुताबिक इस बार भी बड़े पैमाने पर होलिका में गोकाष्ठ का उपयोग होना है। होलिका दहन के लिए जिस भी समिति को गोकाष्ठ चाहिए, वे चारों गोठान में संपर्क कर सकते हैं।
10 किलो की दर से मिलेगी गोकाष्ठ
नगर निगम के अपर आयुक्त राकेश जायसवाल ने बताया कि पिछले साल होली के दौरान 6 से 8  रुपए प्रतिकिलो में गोकाष्ठ की बिक्री की गई थी। पिछले साल करीब पांच सौ क्विंटल गोकाष्ठ बिक्री हुई थी। इस बार गोकाष्ठ की कीमत प्रतिकिलो 10 रुपए निर्धारित की गई है।
महिला स्व सहायता समूह को मिलेगा लाभ
होली के दौरान जितना अधिक गोकाष्ठ बिकेगी, उतना अधिक फायदा गोठान से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं को मिलेगा। इससे होने वाली कमाई का एक हिस्सा गोकाष्ठ बनाने वाली महिलाओं को मिलेगा। पिछली बार भी इसके माध्यम से अच्छी कमाई हुई थी।
ऐसे तैयार होती है गोकाष्ठ
गोशाला में प्रतिदिन कई घंटों की मेहनत के बाद गोकाष्ठ को तैयार किया जा रहा है। इसको बनाने में गोबर, लकड़ी का चूरा, लोहबाण, गंगाजल, गौमूत्र आदि का प्रयोग किया जाता है। इन सबको मिलाकर मशीन में मिश्रित गोबर डालकर उसमें से गोल लकड़ी के गोल आकार वाली गोकाष्ठ निकलती है। जिसको चार से पांच दिन तक सुखाया जाता है। इसके बाद इसे काम में लिया जाता है।
स्वाइन फ्लू से होगा बचाव
अभी तक शहर के आधा दर्जन  होलिका दहन के लिए इसकी बुकिंग हो चुकी है। होलिका दहन पर उपले व गोकाष्ठ जलाने के दौरान उसमें कपूर और इलायची जलाई जाए तो इससे वातावरण में शुद्ध होगा और स्वाइन फ्लू के कीटाणु भी मर जाएंगे।
महापौर ने की गोकाष्ठ से होलिका दहन की अपील
नगर निगम के महापौर रामशरण यादव ने शहर की होलिका दहन समितियों व युवाओं से लकड़ी के बजाय होलिका तैयार करने के लिए गोकाष्ठ का उपयोग करने की अपील की है। मेयर का कहना है कि गोकाष्ठ से होलिका दहन करने के कई फायदे हैं। इसका उपयोग करने से हरे-पेड़ बच जाते हैं, जिससे हमें ऑक्सीजन मिलती है। पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगती है।

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