आर्थिक-संकट के दौरान आसमान छूती महंगाई
रायपुर. इस घोर संकट के समय में आसमान छूती कीमतें आम लोगों के जले पर नमक छिड़क रही हैं असंवेदनशील, बेपरवाह मोदी सरकार ने गंभीर आर्थिक मंदी के दौरान भी देशवासियों को आसमान छूती कीमतों के बोझ के नीचे दबा दिया है। देशवासियों के हाथों में नकद धनराशि पहुंचाने की बजाय भाजपा सरकार उन्हें अपनी जरूरत के सामान के लिए ज्यादा मूल्य चुकाने को मजबूर कर रही है।
भारतीय और ज्यादा गरीब हो गए
यूपीए की पिछली सरकार ने बड़ी मेहनत से 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला था, लेकिन वर्तमान सरकर ने उसकी सारी मेहनत पर पानी फेरते हुए 23 करोड़ लोगों को वापस गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया।अकेले अप्रैल और मई महीने में 2 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं, 97 प्रतिशत लोगों को आज कम वेतन मिल रहा है। नौकरी खोने और कम वेतन मिलने के चलते देशवासियों को रिटायरमेंट के लिए बचाकर रखे गए अपने प्रॉविडेंट फंड में से लगभग 1.25 लाख करोड़ रु. निकालने पर मजबूर होना पड़ा।
आर्थिक कुप्रबंधन
जिस समय जीडीपी वृद्धि दर कम होती जा रही हो, ऐसे में सरकार द्वारा मूल्यों में वृद्धि एक जघन्य कृत्य है और इस आर्थिक बर्बादी का कारण केवल कोरोना नहीं है। हमारी अर्थव्यवस्था पर महामारी का साया पड़ने से पहले ही अनेक विपत्तियां आ चुकी थीं- हमारी वृद्धि दर वित्तवर्ष 2017 में 8.2 प्रतिशत से घटकर वित्तवर्ष 2020 में 4.1 प्रतिशत रह गई, यह सब कुछ भयावह नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण तरीके से लागू की गई जीएसटी एवं मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण हुआ।
पेट्रोल एवं डीज़ल की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि
पेट्रोल की कीमतें इतिहास में पहली बार सभी 4 मेट्रो और देश के अन्य 250 से अधिक शहरों में 100 रु. को पार कर गई है। 1 अप्रैल, 2021 से 12 जुलाई, 2021 के बीच पेट्रोल एवं डीज़ल की कीमतें 66 बार बढ़ाई गईं। मोदी सरकार ने अपने शासनकाल के पिछले 7 सालों में एक्साईज़ ड्यूटी से 25 लाख करोड़ रु. से ज्यादा का मुनाफा कमाया। पिछले 7 सालों में पेट्रोल पर एक्साईज़ ड्यूटी में 247 प्रतिशत एवं डीज़ल पर 794 प्रतिशत वृद्धि की गई। पेट्रोल पर एक्साईज़ में प्रति लीटर वृद्धि पिछले 7 सालों में 23.42 रु. प्रति लीटर और डीज़ल पर 28.24 रु. प्रति लीटर की गई। 2014-15 में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी से अर्जित आय 1,72,000 करोड़ रु. थी, जिसे 2020-21 में बढ़ाकर 4,53,000 करोड़ रु. कर दिया है। भारत सरकार पेट्रोल की बिक्री से 32 रु 90 पैसे प्रति लीटर वसूल करती है, जिसमें 20 रुपए 50 पैसे सेस के रूप में लिया जाता है। सेस से कमाया गया मुनाफा राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं किया जाता। इसलिए भारत सरकार पेट्रोल बेचकर जो 62 प्रतिशत मुनाफा कमाती है, उसमें से एक पैसा भी राज्य सरकारों को