SP विधायक चिल्लाते रहे कि NRC लिस्‍ट में राष्ट्रपतियों का नाम काट दिया! पूछने पर नहीं बता पाए नाम


नई दिल्‍ली. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लेकर पूरे देश में जहां विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और विपक्षी दल इसका जमकर विरोध कर रहे है. विरोध करने वाले नेता सीएए और एनआरसी (NRC) को काला कानून बता रहे हैं, लेकिन जब मीडिया एनआरसी और सीएए पर सवाल करता है तो नेता सही जानकारी नहीं दे पाते हैं. एक बार फि‍र कुछ ऐसा ही हुआ है उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में, जहां बसपा के पूर्व विधायक उमेश चंद्र पाण्डेय ने सीएए और एनआरसी को काला कानून बताया और सवाल उठाया कि एनआरसी के तहत देश के राष्ट्रपतियों तक के नाम राष्ट्रपति की सूची से बाहर कर दिए गए, लेकिन मीडिया द्वारा सवाल पूछने पर वे राष्ट्रपतियों के नाम नहीं बता पाए. साथ ही प्रदेश की कानून-व्यवस्था को पूरी तरह से फ्लॉप बताने का काम किया.

उमेश चंद्र पाण्‍डेय पिछली 20 जनवरी को बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. पाण्डेय जिले की मधुवन विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं.

बसपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल पूर्व विधायक उमेश चंद्र पाण्‍डेय ने कहा कि उन्‍होंने बसपा में 19 वर्षों तक काम किया. 10 वर्षों तक जिले की मधुवन विधानसभा से विधायक रहे और 9 वर्षों तक पार्टी में कार्यकर्ता के रुप में काम किया, लेकिन अब बहुजन समाज पार्टी बाबा साहब के मुद्दों से भटक गई है.

पूर्व विधायक उमेश चंद्र पाण्‍डेय ने सीएए और एनआरसी को काला कानून बता दिया और कहा कि देश में जब महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हावी होने लगते है, भाजपा इऩ मुद्दों को छोड़कर नया मुद्दा लाकर देश की जनता का ध्यान भटकाने का काम करती है. पूर्व विधायक ने कहा कि धर्म के आधार पर सीएए को क्यों लाया जा रहा है. जब इसको लाया जा रहा है तो इसमें सबको शामिल किया जाना चाहिए. इस सरकार ने देश के लिए लड़ने वाले आर्मी के जवानों को एनआरसी के तहत बाहर का रास्ता दिखाने काम किया, तो वहीं देश के पूर्व राष्ट्रपतियों के नाम को भी एनआरसी के तहत बाहर कर दिया.

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