विश्व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह पर विशेष : पिता को देख नशे की गिरफ्त में ऐसा गया बेटा कि लौटना था मुश्किल, सही इलाज मिलने से आज संभाल रहा परिवार

बिलासपुर. बिलासपुर निवासी राजेश (बदला हुआ नाम) आज अपनी मां और बहन साथ पूरी जिम्मेदारी के साथ रह रहा है और घर चलाने में पूरी मदद भी करता था। कल तक इसी राजेश को देखकर लोग दूर भागते थे। वह आए दिन नशे की हालत में घरवालों से झगड़ा करता था। राजेश नशे की गिरफ्त में इस कदर था कि शायद ही वह सामान्य जीवन के लिए वहां से बाहर आ पाता। लोगों का यही कहना था कि अगर जल्द उसको सही इलाज नहीं मिला तो वह भी अपने पिता की तरह नशे के कारण जान गंवा देगा| सकता है। आखिर किसी ने राजेश की मां को राज्य मानसिक चिकित्सालय का पता दिया और वहां जाने से राजेश को नया जीवन मिला। राज्य मानसिक चिकित्सालय की सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अल्का अग्रवाल का कहना है राजेश को जब उनके पास लाया गया था तो यह कहना मुश्किल था कि वह फिर से सामान्य जीवन जी पाएगा या नहीं। फिर भी चिकित्साकर्मियों ने उसको सबसे पहले अस्पताल में भर्ती करके दवाओं के जरिए उसका उपचार शुरू किया। इसके बाद उसकी काउंसलिंग शुरू की गयी । शुरूआती कई महीने तक तो वह यह कहकर जाता था कि नशा नहीं करेगा, लेकिन फिर पुराने दोस्तों के साथ बैठकर शराब, गांजा, टेबलेट, गुटखा और इंजेक्शन जैसे हाई डोज का नशा कर लेता था। यह देख डॉ. अल्का ने उसके अंदर की आत्मा को जगाने का प्रयास किया। उसे बताया कि वह जो कमाता है उसे नशे में लगा देता है। पिता भी इसी तरह नशे में चल बसे थे। घऱ में अकेली बहन और मां है। अगर वह घर नहीं संभालेगा तो उसकी मां बहन के साथ लोग कैसा व्यवहार करेंगे। अगर वह अपने पिता के व्यवसाय को संभालता है तो एक अच्छा जीवन जी सकता है। धीरे-धीरे वह सही रास्ते में आया और आज राजेश पूरी तरह से ठीक हो गया है। वह अपने पिता का काम देखता है और घर में मां व बहन की मदद करता है। अगर कभी वह नशा करता भी है तो अपनी मां को बता देता है और फिर कई महीने के लिए नहीं करता है।राजेश का कहना है वह जल्द पूरी तरह से नशे की गिरफ्त से निकल जाएगा और घर के बड़े लड़के की पूरी जिम्मेदारी संभालेगा।
राजेश आज 30 साल का है। वह मध्यम वर्गीय परिवार से है। उसके पिता शराब के आदी थे। बचपन से ही राजेश अपने पिता को शराब के नशे में घर में झगड़ा, मारपीट करते देखता था। इससे 20 साल की उम्र से ही उसने भी शराब पीना शुरू कर दिया। घर का माहौल ठीक न होने से उसे कोई रोकने वाला भी नहीं था। इसी बीच अधिक शराब पीने से उसके पिता की मौत हो गयी। अब राजेश के दिल दिमाग में नशा पूरी तरह से हावी हो गया था। वह 24 घंटे नशे में रहता था । उसकी सोचने समझने की इच्छा शक्ति पूरी तरह से खत्म हो गई थी।
डॉ. अलका अग्रवाल का कहना है, “नशे के चलते राजेश मानसिक रूप से बीमार हो गया था। उसे अपने घर और परिवार की कोई चिंता नहीं थी। वह घर के पैसे भी नशे में खर्च करने लगा था। न देने पर मां बहन से झगड़ा करता था। लेकिन कहीं न कहीं वह अपनी मां और बहन से बहुत प्यार भी करता था। उन्हीं के प्यार और भविष्य की चिंता ने राजेश के अंदर की इच्छा शक्ति को जगाया और वह नशे की दुनिया से बाहर आ पाया।“