सरकंडा थाना क्षेत्र में खुलेआम संचालित हो रहा है सट्टा बाजार

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बिलासपुर. सरकंडा थाना क्षेत्र में खुलेआम सट्टा बाजार संचालित हो रहा है। एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों में रोजाना खाईवाल सट्टा-पट्टी लिख रहे हैं। इसी तरह इस क्षेत्र में जुआ, अवैध शराब की भी जमकर अफरा-तफरी की जा रही है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक गांजा बिक्रेता ने बताया कि चिंगराजपारा गांजा बेचने वालों का गढ़ बन चुका है। बंदरवाला के घर से लाखों का रूपये गांजा छोटे विक्रेताओं को पहुंचाया जाता है। आलम यह है कि चांटीडीह सरकंडा, चिंगराजपारा, अशोक नगर, मुरूम खदान, बंधवापारा में गांजा-शराब और सट्टा-पट्टी का कारोबार खुलेआम संचालित हो रहा है। इस क्षेत्र में नशे की गोलियां व इंजेक्शन बेचने वाले भी वर्षों से सक्रिय हैं।


सरकंडा पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में हैं। पुलिस की शह में सारे उल्टे सीधे काम किये जा रहे हैं। कबाड़ के धंधे से लेकर देह व्यापार तक इस क्षेत्र में खुलेआम चल रहा है। बसंत विहार, मोपका चौक, इंदिरा विहार, अशोक नगर, चांटीडीह  चिंगराजपारा, सब्जी मंडी आदि स्थानों में खुलेआम सटोरियों द्वारा सट्टा पट्टी लिख रहे हैं।  सुबह से लेकर रात नौ बजे तक लोग सट्टा नंबर लिखाने पहुंचते हैं। कानून व्यवस्था मजाक बनाकर अवैध कारोबार को अंजाम तक पहुंचाने वाले नामी पुलिस कर्मचारियों पर आज तक कोई कार्रवाई नही की गई। कई वर्षों से शहर में सट्टा बाजार संचालित हो रहा है। पदभार संभालते ही आईजी रतनलाल डांगी ने भी जुआ-सट्टा और नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने के निर्देश दिये थे। लेकिन थानों में जमे नामी पुलिस कर्मचारी रिश्वत का माल खा-खाकर अपनी चमड़ी को मोटी कर चुके हैं। शहर में अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है जिसके चलते जुआ-सट्टे के मकडज़ाल में फंसकर लोग बर्बाद हो रहे हैं।

चिंगराजपारा में गांजा तस्करी
चिंगराजपारा में एक दर्जन से ज्यादा लोग गांजा और शराब का धंधा कर रहे हैं। बंदर वाले के नाम से प्रसिद्ध गांजा तस्कर अकेले एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों से गांजा बिकवा रहा है। महिलाओं और बच्चों को सामने खड़े कर इस कारोबार को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। चिंगराजपारा के लोगों का कहना है कि पुलिस के संरक्षण में यहां गांजे की तस्करी की जा रही है जिसके चलते आज तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है। दिखावे के लिए पुलिस द्वारा अचानक साल-दो साल में छापामारी की जाती है जबकि यहां रोजाना लाखों का गांजा तस्करी की जा रही है।

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