खाद में सब्सिडी : कंपनियों की तिजोरी भरने का ‘खेला’ – किसान सभा
रायपुर. “पहले खाद का भाव बढ़ाओ, फिर किसानों को राहत देने का दिखावा करो और सब्सिडी के नाम पर खाद कंपनियों की तिजोरी भरो। कॉर्पोरेटपरस्त मोदी सरकार का यह ‘खेला’ अब सबको समझ में आ रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में एक ओर जहां सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने के लिए फंड का रोना रो रही है और इसका पूरा बोझ राज्यों पर डाला जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खाद कंपनियों को 15000 करोड़ रुपयों की सब्सिडी दी जा रही है।”
रासायनिक खादों के दाम कम करके उसे पूर्ववत किये जाने के मोदी सरकार के फैसले पर यह तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है छत्तीसगढ़ किसान सभा ने। आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते व महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि किसानों को राहत देने के पर मोदी सरकार ने 15000 करोड़ रुपये खाद कंपनियों को सौंप दिए हैं, जबकि कृषि की बढ़ती लागत से परेशान किसानों को कोई वास्तविक राहत नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार के इशारे पर ही खाद के भाव मे गैर-तार्किक तरीके से 50 से 70 प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी की गई थी, ताकि किसानों को और ज्यादा निचोड़ा जा सके। जब इसका देशव्यापी विरोध हुआ, तो सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े और किसानों को पहले के दामों पर ही खाद उपलब्ध कराने की घोषणा करनी पड़ी। लेकिन कीमतों में वृद्धि को वापस लेने के बजाए इस सरकार ने इन बढ़ी हुई कीमतों पर सब्सिडी देने की घोषणा की है, ताकि खाद कंपनियों के मुनाफे पर कोई आंच न आये। इससे मोदी का कॉर्पोरेटपरस्त चेहरा बेनकाब हो गया है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि यदि खाद कंपनियों को मूल्य वृद्धि की इजाजत नहीं दी जाती और पहले की कीमतों पर ही 15000 करोड़ रुपयों की सब्सिडी दी जाती, तो इससे कृषि लागत में कमी आती और किसानों की आय में कुछ सुधार होता। देश का किसान सी-2 लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने की जायज लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन किसान विरोधी यह सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि ये कृषि विरोधी कानून अमल में आते हैं, तो खाद कंपनियों को अनाप-शनाप भाव बढ़ाने की खुली छूट मिल जाएगी।