मत पत्रों से हुए छेड़छाड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा लोकतंत्र की हत्या

नयी दिल्ली. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी द्वारा मतपत्रों से कथित छेड़छाड़ किये जाने को सुप्रीम कोर्ट ने ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है। भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सोमवार को चुनावी कार्यवाही का एक वीडियो देखने के बाद पीठासीन अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। उनका प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पीठ ने कहा, ‘कृपया अपने रिटर्निंग अफसर को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उस पर नजर रख रहा है। हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे।… चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता देश में स्थिरता की सबसे बड़ी ताकत है। जो कुछ हुआ उससे हम स्तब्ध हैं… क्या यह एक रिटर्निंग अधिकारी का व्यवहार है? वह कैमरे की ओर देखता है और मतपत्र से छेड़छाड़ करता है। जाहिर है, जहां (मतपत्र पर) नीचे क्रॉस है, वह उसे ट्रे में रख देता है। जब क्रॉस ऊपर की तरफ होता है; वह आदमी मतपत्र से छेड़छाड़ करता है और फिर कैमरे की ओर देखता है कि कौन उसे देख रहा है।… इस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।’ इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को अपने आचरण पर स्पष्टीकरण देने के लिए 19 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया।

आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से मतपत्र, वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री सहित चुनाव प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड तलब किया। अदालत ने चंडीगढ़ के उपायुक्त को पूरा रिकॉर्ड सोमवार शाम 5 बजे तक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का निर्देश दिया। इसके साथ ही खंडपीठ ने चंडीगढ़ नगर निगम की 7 फरवरी को होने वाली बैठक पर रोक लगा दी।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने दलील दी कि वीडियो में केवल एकतरफा तस्वीर है। उन्होंने आग्रह किया कि अदालत को पूरा रिकॉर्ड देखने के बाद व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।

भाजपा ने कम पार्षद होने के बावजूद 30 जनवरी को मेयर चुनाव में कांग्रेस-आप गठजोड़ के खिलाफ जीत हासिल की थी। भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था। नतीजों में कहा गया था कि सोनकर को 16 और कुलदीप को 12 वोट मिले हैं, जबकि 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गये थे। आप और कांग्रेस का आरोप है कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने उनके 8 मतपत्रों को खुद छेड़छाड़ करके रद्द कर दिया।

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