सुप्रीम कोर्ट का मोदी सरकार को आदेश, जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक चुनाव कराओ

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-३७० को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को योग्य करार दिया है। कई विवादों और सीधे सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई को जन्म देने वाले इस फैसले की वैधता पर संविधान पीठ ने मुहर लगाते हुए यह भी आदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए और वहां अगले सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराए जाएं। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य में संविधान के सभी प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए दशकों से चले आ रहे विवाद को खत्म कर दिया है। हालांकि, संविधान पीठ के जजों द्वारा तीन अलग-अलग फैसले दिए गए, लेकिन अनुच्छेद- ३७० को हटाने का केंद्र का फैसला सर्वसम्मति से सही बताया गया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-३७० एक अस्थायी प्रावधान था और जब राज्य में कोई निर्वाचित विधानसभा नहीं हो तो राष्ट्रपति के पास इस प्रावधान को निरस्त करने का अधिकार है। इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने फैसले का सारांश पढ़कर सुनाया। अनुच्छेद-३७० का प्रावधान केवल अस्थायी है। विधानसभा विघटन के बाद संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद-३७० प्रकृति में अस्थायी है। इसके अलावा, संविधान पीठ ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग करने की केंद्र की ५ अगस्त, २०१९ की कार्रवाई को भी बरकरार रखा है। उसी दिन केंद्र ने अनुच्छेद-३७० को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। संविधान पीठ ने पैâसले में अनुच्छेद-३७० के प्रावधानों को लेकर अहम टिप्पणियां दर्ज की हैं। इसके पीछे एक उद्देश्य राज्य विधानमंडल के गठन और राज्य-संघीय संबंधों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू होने तक एक अंतरिम व्यवस्था करना था। साथ ही मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा है कि राज्य में तत्कालीन युद्ध की स्थिति से उत्पन्न विशेष स्थिति में अंतरिम व्यवस्था होनी चाहिए।

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