मजदूर था वह, मजबूर हो गया ! रोजगार उससे ही दूर हो गया! सरहद तो लांघी अमीरों ने थी,  गरीबों का कैसे कसूर हो गया!! सैकड़ों मिलों पैदल उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम तक सड़कों पर सिर पर गृहस्थी का समान परिवार सहित ढोते चलते-फिरते कंधों पर बड़े बुजुर्ग एवं मासूम बच्चों को लेकर