(आलेख : निधीश जे. विलट्ट, अनुवाद : संजय पराते) अपने हाई स्कूल के दिनों में मैंने प्रसिद्ध मलयालम लेखक थकाझी निधीश जे. विलट्टका क्लासिक उपन्यास “रंदीदंगाझी” पढ़ा था, जो मुझे अच्छी तरह से याद है। इस उपन्यास में मुख्यतः दलित खेतिहर मज़दूरों और गरीब बंटाईदारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और केरल के धान के कटोरे