बिलासपुर. श्रीमती माधुरी धुरी के जीवन की धुरी पहले उसके घर एवं परिवार तक सीमित थी। बाहरी दुनिया से उसका नाता नही था लेकिन जब से उसे गौठान में स्वसहायता समूह से जुड़कर कार्य करने का मौका मिला उसकी तो दुनिया ही बदल गई है। गौठान में गोबर से वर्मी खाद बनाकर उसकी बिक्री से