रायपुर. छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा भारतीय वन कानून, 1927 में संशोधन मसौदा तैयार करने का ठेका कॉर्पोरेट कंपनियों को देने के लिए ‘रूचि की अभिव्यक्ति’ आमंत्रित करने की तीखी आलोचना करते हुए इसका विरोध किया है तथा कहा है कि अब यह सरकार के निजीकरण की शुरूआत है, जो कानून