वर्धा.  भारतीय भाषाओं में किसी महाकाव्य का प्रमुखता से उल्लेख है तो वह रामचरितमानस है । सभी आशियाई देश आज रामकाव्य  में अपना सांस्कृतिक इतिहास ढूंढ रहे हैं, क्योंकि रामचरितमानस ने वसुधैव कुटुंबकम की चेतना को विस्तारित किया है, जिसका श्रेय गोस्वामी तुलसीदास को जाता है। उक्त विचार हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद्मश्री प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी