हम समझते थे कि एक न एक दिन हमारे सिस्टम को शर्म आएगी पर नहीं आई बेशर्मी और ही बढ़ गई।हमें लगता था यह जनता का,जनता के लिए,जनता के द्वारा सिस्टम है किंतु यह तो    ” जानता ” का सिस्टम है।जो सिस्टम को जानता है वह राज्य करता है,समस्त अधिकारों का उपभोग करता है।जनता