भोपाल. भले ही छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दो अलग राज्य बन गए हो, लेकिन शोषणमुक्त समाज के निर्माण के लिए उनका संघर्ष साझा है, क्योंकि शोषण से मुक्ति की आशा-आकांक्षाएं दोनों राज्यों की जनता में एक समान है। जल-जंगल-जमीन-खनिज और प्राकृतिक संसाधनों की लूट दोनों राज्यों में निर्मम तरीके से हो रही है और हमारे किसान