बिलासपुर. श्रीराम चरितमानस जीवन जीने की कला का साक्षात दिग्दर्शन है ।यह जनमानस के मल को धो डालने वाली कला है ।आज विश्व जिस कगार में खड़ा है उसमें सारी मर्यादायें नष्ट हो गयी है ।हमें अपने भीतर झाँकने के लिये तप करना पड़ेगा ।राष्ट्रभक्ति आँख बन्द कर नहीं की जा सकती है ।तुलसीदास जी