बिलासपुर. आज ही के दिन 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अंगीकृत किया गया था जिसे 26 जनवरी, 1950 में लागू किया गया और वर्तमान इसी संविधान की बदौलत आज भारत पूरे विश्व में सबसे बडे लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है । इसी कड़ी में आज दक्षिण पूर्व मध्य
कल्याणपुर (सूरजपुर). किसान सभा की लड़ाई केवल खेती-किसानी और किसान भर को बचाने की नहीं है, असली लड़ाई संविधान, लोकतंत्र और हिंदुस्तान को बचाने और आगे बढ़ाने की है। देश में आज जो कृषि संकट दिख रहा है, यह संकट और गहराकर समूची ग्रामीण आबादी के संकट में बदल गया है। देशव्यापी किसान आंदोलन ने
सबसे पहले मैं समस्त देशवासियों को भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूँ। मैं संविधान की अपने शब्दों में व्याख्या अथवा समीक्षा करने का प्रयास करूॅ तो गारंटी है मेरी व्याख्या अत्यंत तुच्छ प्रमाणित हो जाएगी। इसलिये मैं स्वयं को भारतीय संविधान की निष्ठापूर्वक पूरी व्याख्या के लिये अयोग्य ठहराता हॅू, क्योंकि
वर्धा. संविधान दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में शुक्रवार दि. 26 नवंबर को संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन किया गया। पूर्वाह्न 11.00 बजे अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ, वाचस्पति भवन के प्रांगण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया जिसे उपस्थितों द्वारा दोहराया गया।
“भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, उसके हासिल संविधान और सारी मुश्किलों को झेल कर भारत को अपना वतन चुनने वाले जम्मू कश्मीर के अवाम को अपमानित करके 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे तीन टुकड़ों में बांटने वाली केंद्र सरकार को अपने आचरण पर शर्म करनी चाहिए और देश की जनता
रायपुर. भारत में कोई भी संस्था या व्यक्ति या पद संविधान से ऊपर नहीं है। हम सब संविधान के बनाए और बताए हुए दायरे में रहकर अपना अपना काम करते हैं। चाहे वह संसद हो या राज्य विधान मंडल, कानून बनाने की शक्ति संविधान ने कुछ खास विषयों और सीमाओं के अंतर्गत प्रदान की है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आदिवासियों की जमीन को गैर-आदिवासियों को सौंपने के लिए भू-राजस्व संहिता में संविधानविरोधी बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उपसमिति गठित करने की तीखी निंदा की है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि सरकार का वास्तविक इरादा आदिवासियों की जमीन को कॉरपोरेटों के हाथों में सौंपने का है। आज
नई दिल्ली. संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के ज़रिए जोड़े गए ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि सेक्युलरिज़्म-सोशलिज़्म राजनीतिक विचार हैं. इन्हें नागरिकों पर थोपा जा रहा है. यह याचिका वकील विष्णु शंकर जैन ने दायर की
रायपुर. भारतीय लोकतंत्र और प्रजातंत्र की खूबसूरती इन आधारों पर टिकी है कि, हमे भारत के संविधान ने मौलिक अधिकार दिये हैं। जनता से चुनी हुई सत्तारूढ़ दल का दायित्व होता है कि वे अपने देश के नागरिक की मौलिक अधिकारों की रक्षा करें, मगर केंद्र की भाजपा मोदी सरकार ने #COVID19 रोकथाम के नाम
बिलासपुर.स्वतंत्रता प्राप्ति के 20 वर्ष उपरांत सिन्धी भाषा को 10 अप्रैल 1967 को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई। इसलिए सम्पूर्ण भारत में 10 अप्रैल को सिन्धी भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है और प्रत्येक शहर में भाषा से संबंधित कार्यक्रम कराए जाते हैं । हम सभी जानते हैं कि
बिलासपुर. स्वतंत्रता प्राप्ति के 20 वर्ष उपरांत सिन्धी भाषा को 10 अप्रैल 1967 को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई। इसलिए सम्पूर्ण भारत में 10 अप्रैल को सिन्धी भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है और प्रत्येक शहर में भाषा से संबंधित कार्यक्रम कराए जाते हैं । हम सभी जानते हैं
कोरबा. आज हमला देश के संविधान और उसके धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर है। यदि देश नहीं बचेगा, तो कुछ नहीं बचेगा। हम जाति, धर्म या भाषा के आधार पर भारत के नागरिक नहीं है। हमारी नागरिकता का आधार अंग्रेजों के खिलाफ चलाया गया आज़ादी का वह संघर्ष है, जिसके लिए हमारे पुरखों ने अपनी शहादत दी
कोरबा.नागरिकता कानून में पहली बार धर्म की शर्त जोड़ी गई है, जो हमारे देश के संविधान की बुनियादी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर ही हमला है। इसके खिलाफ पूरा देश आंदोलित और उद्वेलित है। एनपीआर और एनआरसी के साथ मिलकर यह कानून जो रसायन बनाता है, वह देश की एकता-अखंडता को ही नष्ट करने वाला है और
रायपुर. विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भारत के संविधान, गरीबों, अनुसूचित जनजाति, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सीधा हमला किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भारत की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था, बेकाबू हो रही बेरोजगारी और उसके चलते युवाओं द्वारा