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7 अक्टूबर को प्रदर्शित होगी करण राज़दान की “हिंदुत्व”

अनिल बेदाग़/करण राज़दान की फ़िल्म हिंदुत्व का रिलीज़ डेट सामने आ गया है। जी हां, यह फ़िल्म 7 अक्टूबर को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। जयकारा फिल्म्स और लॉर्ड शिव कम्युनिकेशंस द्वारा निर्मित इस फ़िल्म को प्रगुणभारत ने प्रस्तुत किया है। यह फिल्म करण राज़दान द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित है

वाम-जनवादी मोर्चा बनेगा सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट ताकतों के खिलाफ व्यापकतम लामबन्दी की धुरी : माकपा

कन्नूर (केरल). मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केरल में चल रहे 23वें राष्ट्रीय महाधिवेशन ने दर्ज किया है कि हिंदुत्व नामधारी सांप्रदायिकता मेहनतकश जनता की एकता बिखेर कर विविधताओं के भारत को विभाजितों का भारत बना रही है और इस तरह पूरे भक्ति भाव से कारपोरेटों की सेवा में लगी है। पार्टी महाधिवेशन ने तय किया

फ़िल्म “हिंदुत्व” की स्पेशल स्क्रीनिंग में पहुंचे आशीष शर्मा

अनिल बेदाग़/ राईटर डायरेक्टर करण राज़दान की अपकमिंग फ़िल्म “हिंदुत्व” की स्पेशल स्क्रीनिंग मुम्बई में रखी गई तो यहां आशीष शर्मा, सोनारिका भदोरिया , अनूप जलोटा और सिंगर मधुश्री उपस्थित रहे।इस फिल्म का निर्माण किया है करण राज़दान क्रिएटिव्स ने। करण राज़दान  ने रजनी और तहकीकत जैसे टीवी शो का लेखन और निर्देशन भी किया

करण राज़दान ने कंप्लीट की फ़िल्म “हिंदुत्व”

मुंबई/अनिल बेदाग़. लेखक निर्देशक करण राज़दान की फ़िल्म “हिंदुत्व” कंप्लीट है। फ़िल्म के मुख्य कलाकार आशीष शर्मा ने बताया कि फ़िल्म का थोड़ा सा पैच वर्क रह गया था जिसे हमने मुम्बई में शूट किया। यह पूरी जर्नी मजेदार और यादगार रही क्योंकि बड़े मुश्किल हालात में हमने इस सिनेमा को शूट किया है। मैं

अनूप जलोटा ने पूरी की फ़िल्म “हिंदुत्व” की शूटिंग

मुंबई/अनिल बेदाग़. लेखक निर्देशक करण राज़दान की फ़िल्म “हिंदुत्व” के अंतिम दिन की शूटिंग मुम्बई के फ़िल्म सिटी स्टूडियो में भव्य पैमाने पर की गई जिसमें अनूप जलोटा, आशीष शर्मा और अंकित राज ने हिस्सा लिया। करण राजदान क्रिएटिव्स द्वारा प्रोड्यूज़ की गई इस फ़िल्म की पूरी शूटिंग उत्तराखंड में अलग अलग स्थानों पे की

मोदी मतलब मर्डर ऑफ डेमोक्रेटिक इंडिया, कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है : संजय पराते

“कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है। संवैधानिक मूल्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। असहमति रखने वाले व्यक्तियों और संगठनों को फासीवादी औजारों से खामोश किया जा रहा है, समाज के लोकतांत्रिक माहौल – डेमोक्रेटिक स्पेस – को ख़त्म किया जा रहा है।” यह बात संजय पराते ने 19वें शैलेन्द्र शैली स्मृति
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