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क्या यही चुनाव आयोग का काम है?

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) बेशक, यह कहना तो शायद बहुत जल्दबाजी होगी कि बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण या एसआइआर की घोषणा के बाद से विपक्षी पार्टियों ही नहीं, बल्कि सामाजिक व जनतांत्रिक अधिकार संगठनों द्वारा भी ”वोट की चोरी” के जरिए चुनाव में हेरा-फेरी की जो आशंकाएं जतायी जा रही थीं और जनता के

डर का गणतंत्र : क्या अस्जाद बाबू को आज के भारत में इन्साफ मिल सकेगा?

      (आलेख : सुभाष गाताडे) (“हमारे मृतक तब तक मृत नहीं है, जब तक कि हम उन्हें भूल नहीं जाते।”) — जॉर्ज इलियट (अंग्रेजी उपन्यासकार और कवि, 1819-1880) फिरदौस आलम उर्फ अस्जाद बाबू – उम्र 24 साल – अब इस दुनिया में नहीं है। इस नौजवान की मौत की जो खबरें मीडिया के

फासिस्ट ताकतों को हराने और विकल्प देने का ठोस आकलन

  (आलेख : जसविंदर सिंह) सी पी आई (एम) की 24 वीं पार्टी कांग्रेस के राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे के जारी होते ही सी पी आई (एम) पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। सी पी आई (एम) पर बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाने की सिर्फ बात ही नहीं की जा रही है, बल्कि
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