नई दिल्‍ली. जीवन में जितना जरूरी अपने धन की रक्षा करना है, उससे ज्‍यादा जरूरी है अपनी जान और सम्‍मान की रक्षा करना. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में इसके लिए एक बहुत अहम बात कही है. उन्‍होंने उन स्थितियों के बारे में बताया है जिनमें घिरने पर व्‍यक्ति को तत्‍काल वहां से निकल