नई दिल्ली. देश जब आजाद हो गया तो काफी कुछ तय करने का जिम्मा संविधान सभा के ऊपर था. अलग अलग समाज, पार्टियों और क्षेत्रों के लोग इसमें शामिल थे और इनको देश का संविधान बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. संविधान सभा 26 नवम्बर से पहले  ही तमाम सारी बहस और संशोधन कर चुकी थी,