September 16, 2020
अमृत ध्वनि छंद

लपटे राहय ढ़ोंग अउ, रूढ़िवाद के आग। मनखे ना मनखे रहै, अपन ठठावय भाग।। अपन ठठावय, भाग भरोसा, बइठे राहय। लोभ मोह मा, पड़े मनुज मन, अइठे राहय।। झूठ पाप के, रात अँधेरा, राहय घपटे। साँप बरोबर, पाखंडी मन, जग मा लपटे।। गुरु घासी अवतार ले, धरिन धरा मा पाँव। मनखे मनखे एक कर, देइस