मशहूर गीतकार, शायर और लेखक गुलजार साहब ने क्या खूब लिखा है कि ‘जाड़ों की नर्म धूप और आंगन में लेट कर…’ जिस वक्त गुलजार साहब ने ये लाइनें लिखी थीं तो उस वक्त घरों में आंगन और आंगन में धूप की मौजूदगी आम थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अब शहरों का हाल