सत्ता पक्ष और विपक्ष ने देश की अंदरूनी समस्याओं पर विदेशी जमीन पर बाते की पर माफ़ी एक ही क्यू मांगे
वशुधैव कुटुम्बकम, विश्वगुरु, विश्वबंधुतव का नारा सुन ही राहे है.. अगर इनका शाब्दिक अर्थ समझते तो यह बहस ही नहीं होती यैसे में इन सब...
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