छातों से दूर हुई जिंदगी की तपिश

 

 

सफलता की कहानी
दीदियां लिख रही आत्मनिर्भरता का नया अध्याय

बिलासपुर. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ‘बिहान योजना’ से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। इसी कड़ी में बिल्हा विकासखंड के भैंसबोड़ क्लस्टर की 34 ग्राम पंचायतों की 800 से अधिक महिलाएं अब छाता निर्माण की आजीविका गतिविधि से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। दीदियों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार जताया है।
इन महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित होकर संसाधनों का उपयोग करते हुए छातों का उत्पादन शुरू किया है। यह न केवल उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता का स्रोत बना है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उन्हें सम्मान व पहचान दिला रहा है। महिलाएं प्रतिमाह औसतन 8 से 9 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही हैं, जिससे वे अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ बचत भी कर पा रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे निरंतर सहयोग के प्रति दीदियों ने आभार व्यक्त किया। भैंसबोड कलस्टर की अध्यक्ष सरिता कौशिक ने बताया कि “बिहान योजना” ने उन्हें घर की चारदीवारी से निकालकर आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है। अब वे न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं साथ ही महिलाओं में आत्मविश्वास भी बढ़ा है,और उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।
दीदियों ने बताया कि प्रशिक्षण, कच्चे माल की व्यवस्था, विपणन सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन जैसी सुविधाएं बिहान योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो रहा है और बाजार में इनकी माँग भी बढ़ रही है। आमागोहान में आयोजित शिविर में मुखमत्री श्री विष्णु देव साय ने दीदियों से भेंट की और उनका उत्साह बढ़ाया, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने भी छाता निर्माण में जुड़ी दीदियों से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित किया।जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल ने बताया कि भविष्य में इन समूहों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे समूहों की आय अधिक बढ़ सकेगी।
उल्लेखनीय है कि बिहान योजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें लखपति दीदी की श्रेणी में लाना हैं। ये योजना जिले में ग्रामीण विकास का आधार बन चुकी है,जिसमें हजारों महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। बिल्हा ब्लॉक में छाता निर्माण के अलावा सिलाई-कढ़ाई, मशरूम उत्पादन, अगरबत्ती निर्माण, और बाड़ी विकास जैसी अन्य गतिविधियों में भी महिलाएं सशक्त भागीदारी निभा रही हैं।

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