सिम्स में 9 माह में 2 लाख आरटीपीसीआर जांच का बना लक्ष्य

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने कमाल कर दिया। इस संकटकाल में विभाग के डॉक्टर और स्टाफ ने एकमात्र आरटीपीसीआर मशीन से 2 लाख नमूनों की जांच कर साबित कर दिया कि वे सीमित संसाधन के बाद भी अच्छा रिजल्ट दे सकते है। तभी तो उनके हौसलों की सराहना हो रही है।सिम्स में गत 1 अगस्त 2020 को आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा शुरू की गई थी। इस कोविड-19(आर.टी.पी.सी.आर.) प्रयोगशाला ने 2,00000 (दो लाख) नमूनों की जांच कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के बायोरोलॉजिकल लैब में दर्ज आकड़ो के मुताबिल यहां अब तक हुए 2 लाख टेस्ट में से 17704 मरीजो की टेस्ट रिपोर्ट पाजिटिव व 179115 लोगो की रिपोर्ट निगेटिव आई है। मरीज पाये गये है।यहां जांच के लिए उमड़ती भीड़ और सैम्पलों की लगातार बढ़ते तादात को देखते हुए एक और मशीन की आवश्यकता महसूस की जा रही। 13 सैम्पलों से शुरू हुआ ये सेंटर सिमित संसाधनों व स्टाफ के बावजूद साथ निरंतर कार्य कर आज 2,00000 (दो लाख) नमनों का लक्ष्य को पार कर चुका है। 21 जनवरी 2021 तक इस आर.टी.पी.सी.आर. मशीन द्वारा 100000 सैम्पलों की जांच पूरी कर ली गई थी, वही पिछले 04 माह में यह आंकड़ा 2,00000 का आंकड़ा पर कर चुका।

लैब में कार्यरत अधिकारी, साईंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन,लैब अटेन्डेन्ट व डाटा ऑपरेटर आदि कर्मचारियों के अथक परिश्रम व समर्पण का परिणाम है । वर्तमान में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा एक आर.टी.पी.सी.आर. मशीन प्रदत्त की गई है जिससे आर.टी.पी.सी.आर. जॉच में और तेजी आने की बात कही जा रही है। संस्था के वायारोलॉजी लैब प्रभारी डॉ. रेखा बारापात्रे व विभाग प्रमुख डॉ. सागरिका
प्रधान के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में संभव हो सका । सिम्स अधिष्ठाता, डॉ. तृप्ति नागरिया ने विभाग में उपस्थित होकर सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी व उत्साहवर्धन किया । इस उपलब्धि में प्रारंभ से ही डॉ. ज्योत्सना दुबे , डॉ. अंजु श्रीवास्तव डॉ. रश्मिका दबे, डॉ, विनोद टण्डन, डॉ. प्रियंका व डॉ. पल्लवी का विशेष योगदान रहा ।

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