केन्द्रीय नेतृत्व के सामनेे नतमस्तक भाजपा नेताओं को टिकिट कटने का अभी से लगने लगा है डर
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. वर्ष 2003 के पहले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को देखते हुये तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी बाजपेयी व लालकृष्ण आडवानी की रणनीति से राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इसके बाद भाजपा को पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा। किंतु वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा की कमर तोड़कर रख दी। इसके बाद राज्य में भाजपा विपक्ष की भूमिका ठीक से नहीं निभा पा रही है। कांग्रेसी कह रहे कि केन्द्रीय नेतृत्व के आगे राज्य के भाजपा नेताओं की बोलती बंद है। वर्ष 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में संपन्न होगा। इसके बाद ही नये सीएम का चेहरा सामने आयेगा। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम दूर-दूर तक सामने नहीं आ रहा है। भाजपा इस बार नये पैटर्न से चुनाव लड़ेगी, ज्यादातर युवा उम्मीदवारों को सामने लाने की तैयारी चल रही है। केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नतमस्तक नजर आ रहे दिग्गज भाजपा नेताओं को अभी से अपना बोरिया बिस्तर खिसकते दिखने लगा है। हालांकि चुनाव हार चुके भाजपा के दिग्गज नेता अभी से अपनी तैयारी कर रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात की भी चिंता ज्यादा सता रही है कि पार्टी आला कमान ऐन वक्त में कहीं उनकी टिकट ही ना काट दे।
छ.ग. के आदिवासी भाजपा नेता आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग पर अड़ गए हैं। भाजपा में आपसी गुटबाजी का दौर शुरू हो गया है। भाजपा संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। केन्द्रीय टीम राज्य में चल रही गतिविधियों को गंभीरता से ले रही है। भाजपा शासनकाल में किन-किन मंत्रियों ने अपने पद का दुरूपयोग किया, पार्टी के लिये जी जान लगाने वाले कार्यकर्ताओं की भावनाओं को कैसे कुचला गया और अपने पावर का प्रयोग कर पार्टी के स्थापित पदाधिकारियों को कैसे रौंदा गया? जिसका नतीजा वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में साफ तौर पर देखने को मिला। अब भाजपा आला कमान दोबारा इस तरह की गलती दोहराना नहीं करना चाहती। पार्टी आला कमान अब छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं को संजोकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है और नये चेहरों को प्राथमिकता देने पर भी विचार कर रही है। 15 सालों तक मलाई खाने के बाद भी भाजपा में मंंत्री और विधायक रहे नेता अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं उनकी अंदरूनी रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।
खैरागढ़ उपचुनाव ने बिगाड़ा खेल
हाल ही में हुए खैरागढ़ उपचुनाव में भाजपा नेताओं ने अपनी ताकत झोंक दी थी इसके बाद भी पार्टी को यहां हार का सामना करना पड़ा। इस उपचुनाव ने भाजपा संगठन की पोल खोलकर रख दी और सारा खेल बिगड़ गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी नहीं चाहते हैं कि खनिज संपदा से भरपूर छ.ग. राज्य उनके हाथों से कहीं दोबार खिसक न जाये। इसके लिये वे अभी से मुख्यमंत्री के रूप में किसी का नाम सामने नहीं ला रहे हैं। वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा जीत दर्ज करती है तो आदिवासी चेहरा को मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा जा सकता है।
केन्द्रीय मंत्री अश्वनी कुमार ने लगाया आरोप
केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्वनी कुमार हाल ही में दो दिवसीय छ.ग. दौरे पर आये थे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री अन्न योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा कहीं देखने को नहीं मिला जैसा छत्तीसगढ़ में हो रहा है। हालांकि उन्होंने अपने छग आगमन को रूटीन दौरा बताया। परंतु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि छ.ग. में विपक्ष में बैठी भाजपा को रिचार्ज करने की खास जरूरत है। जनहित के मुद्दे व आमजन को जोडऩे में भाजपा नाकाम साबित हो रही है, इसकी पूरी जानकारी केन्द्रीय टीम के पास भी है।