तहसीलदार को हाईकोर्ट से फटकार मिलने के बाद भी कलेक्टर है चुप, चहेते को दिया था एकतरफा आदेश
वो कहते है न कि पद को हर कोई सही तरीके से नही संभाल सकता और न ही कोई सही तरीके से चला सकता है, क्योंकि मलाईदार पद और मलाईदार जगह में पोस्टिंग होने के बाद पैसों का भंडार लग जाता है तो इंसान खुद ही भूल जाता है कि आखिर करना क्या है,दरसल बिलासपुर के तहसीलदार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है,जिसके बारे में जितना बोला जाए शायद कम है,हम आपको बता दे बिलासपुर तहसीलदार रमेश मोर के एक के बाद एक लगातार फ़र्ज़ी कामों सूची बाहर आती जा रही है। पहले मोपका के धूरीपरा के धुरी परिवार की लाखों करोड़ों की ज़मीन में फ़र्जीवाड़ा करने का आरोप लगा। दूसरी शिकायत फ़र्ज़ी आँकड़े पेश करने के लिए 1200 के आसपास नामांतरण को सीधे ग़ायब करने का आरोप लगा। जिन लोगों ने इनसे सम्पर्क करके लेनदेन नहीं किया उन सैकड़ों हज़ारों केस को सीधे एक झटके में भुइयाँ ऑनलाइन सॉफ़्टवेयर से ही सीधे उड़ा दिया गया।
अब तीसरी शिकायत सामने आयी है जिसमें वंदना हॉस्पिटल मंगला वाले मामले में तहसीलदार रमेश मोर को हाईकोर्ट से ज़बरदस्त फटकार लगी है। हाईकोर्ट ने रमेश मोर में आदेश पर स्टे लगा दिया है और वंदना हॉस्पिटल का ताला खोलने का आदेश जारी कर दिया है। और कहा है कि तहसीलदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर अपने पद का दुरुपयोग कर मनमाना आदेश किया है। सूत्रों से अंदरूनी ख़बर मिली है और चर्चा है कि विपक्ष के रसूखदार डाक्टर से लेनदेन हुआ है। ज़िला प्रशासन को केवल वंदना हॉस्पिटल में ख़ामियाँ नज़र आ रही है और शहर के बाक़ी हॉस्पिटल पाक साफ़ है और अंतरास्ट्रीय मापदंड को पूरा करते हैं ऐसा उनको दिखता है। जबकि आपको बता दे की शहर के ऐसे कई हॉस्पिटल है जिनके ख़िलाफ़ ज़िला प्रशासन को गम्भीर से गम्भीर शिकायतें मिली , खबरें भी छपी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि ज़िला प्रशासन में फ़िलहाल कलेक्टर सारांश मित्तर बैठे हुए है। और चूँकि रमेश मोर उनके पास के राज्य हरियाणा से आते हैं। इसलिए उनको हर चीज का छूट मिला हुआ है। मुख्यमंत्री से बिलासपुर वसियों को 15 साल बाद कुछ आस थी लेकिन अब वह भी पूरी होते दिखाई नहीं दे रही है इन बाहरी प्रांत के अधिकारियों के कारण।फिलहाल यह मामला अब और ज्यादा उलझता जा रहा है जिसमे तहसीलदार भी शामिल है जिनकी वजह से विवादास्पद होते जा रहा है।