भगवद्गीता में योग दर्शन का व्यापक रास्ता दर्शाया गया है : डॉ. लूसी गेस्ट

वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग सप्ताह के पांचवे दिन गांधी एवं शांति अध्‍ययन विभाग द्वारा ‘श्रीमद्गगवदगीता में योगदर्शन की व्‍यापकता और संपूर्णता’  विषय पर 25 जून को ऑनलाइन विशिष्‍ट व्‍याख्‍यान का आयोजन महादेवी वर्मा सभागार में किया गया। कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए चंद्रमौलि फाउंडेशन, वाराणसी की सहसंस्थापक, प्रख्यात संस्कृत साधक डॉ. लूसी गेस्ट ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया योग का मूलतत्व स्थित प्रज्ञा है। स्वयं साधना कर इसकी प्राप्ति की जा सकती है। गीता हमें योगदर्शन का व्यापक और संपूर्णता का रास्ता दिखाती है।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने संबोधित करते हुए कहा कि योग स्थित प्रज्ञता प्राप्त करता है, यह कर्म कौशल भी है। भगवद्गीता में योग को लेकर एकवाक्यता दिखाई देती है। भेद को समाप्त कर जोडने का उपक्रम ही योग है । इस अवसर पर कुलपति प्रो. शुक्ल ने संस्कृत साधक डॉ. लूसी गेस्ट का स्वागत प्रशस्ति पत्र प्रदान कर किया । उन्होंने उनके लोकमंगल कार्य के लिए शुभकामनाएं भी दी।

विशिष्ट अतिथि योग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र कुमार राय ने कहा कि धर्म- दर्शन एक सनातन परंपरा है और इसमें योग दर्शन एक महत्वपूर्ण तत्व है। भगवद्गीता में ज्ञान, कर्म और भक्ति योग बताएं गयें हैं। भगवान कृष्ण और अर्जुन का संवाद योग शास्त्र के अंतर्गत आता है । योग का विस्तार 18 योग प्रकारों में किया गया है। उन्होंने कहा कि योग साधना एक सर्वोपरि संकल्पना है।

कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य संस्कृति विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रोफेसर नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने दिया । संचालन गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार राय ने किया। विभाग के सहायक प्रोफसर डॉ. राकेश मिश्र ने  आभार ज्ञापित किया। मंगलाचरण डॉ. वागीश राज शुक्ल ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अध्‍यापक शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्‍यक्षत: तथा आभासी माध्‍यम से जुड़े थे।

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