चिलचिलाती धूप में नंगे पांव नौनिहालों को स्कूल जाने की मजबूरी

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा लेकर राज्य सरकार एक विकसित प्रदेश बनाने की योजना में काम कर रही है। लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने तरह तरह के उपाय किए जा रहे हैं। किंतु सरकारी उदासीनता के चलते कई प्राथमिक स्कूल बंद होने के कगार पर है। वहीं जिन स्कूलों का संचालन किया जा रहा है वहां भारी अव्यवस्था का आलम है। भरी दोपहरी में भी नौनिहालों को स्कूल बुलाया जा रहा है। नंगे पांव हाथ में बस्ता लिये स्कूल पहुंच रहे बच्चों की दशा को देखकर सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं को जरा भी अहसास नहीं हो रहा है कि उनके भी छोटे-छोटे बच्चें हैं, तकलीफ सभी को होती है। सरकारी गाड़ी को चलाना है और खानापूर्ति करना है कि तर्ज पर राज्य में प्राथमिक स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। गरीब तबके के बच्चों को उनके माता पिता निजी स्कूलों में दाखिला नही दिला पाते हैं, उनके लिये सरकारी स्कूल ही माई-बाप के समान है। सरकार का दायित्व बनता है कि पहली से पांचवी तक के बच्चों को बेहतर से बेहतर सुविधा देनी चाहिए। इसके बिना गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की कल्पना भी नहीं की जा सकती। तुर्काडीह प्राथमिक स्कूल में पढऩे वाले बच्चें दोपहर साढ़े तीन बजे चिलचिलाती धूप में नंगे पांव घर लौट रहे थे। पत्थर, कंकड़ का जरा भी उन्हें भय नहीं रहता। सरकार द्वारा गणवेश की व्यवस्था की जाती है इसके बाद भी राज्य में गरीबी की दशा किसी से छिपी नहीं है।

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