माता-पिता एवं छोटे भाई की नृषंस हत्या करने वाले अपचारी बालक को प्रत्येक हत्या कारित करने के लिये तिहरा आजीवन कारावास
सागर . माता-पिता एवं छोटे भाई की नृषंस हत्या करने वाले अपचारी बालक को माननीय विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये प्रत्येक हत्या के लिये भा.द.वि. की धारा-302 के तहत तिहरा आजीवन कारावास एवं धारा- 201 के तहत 07 वर्ष के कारावास एवं जुर्माने की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी ए.डी.पी.ओ. सौरभ डिम्हा ने बताया कि फरियादी नेे थाना-मकरोनिया में रिपोर्ट लेख कराई कि मै ख्ेाती किसानी का काम करता हूॅ हम पॉच भाई है सबसे छोटा मै हॅू। भैया अपनी पत्नी एवं दोनों बेटों के साथ थाना मकरोनिया के अंतर्गत स्वयं के मकान में रहते थे । वे दो वर्ष पूर्व शासकीय सेवा से रिटायर्ड हुये थे वर्तमान में ं गार्ड की नौकरी करते थे। दिनॉक 27.01.2020 को रात करीब 9ः30 बजे से 10ः00 के बीच भैया के मोबाइल पर फोन लगाया तो फोन बंद था फिर भाभी के मोबाईल पर लगाया तो वह भी बंद आया फिर मैने बड़े भतीजे /अपचारी बालक के नंबर पर फोन लगाया घंटी जा रही थी लेकिन फोन नहीं उठ रहा था मै रात भर चिंता में रहा फिर दूसरे दिन दोपहर 1ः30 बजे मै सागर अपने भाई के घर आया , घर में बाहर से ताला बंद था तो मैने आस-पड़ोस में भैया-भाभी के बारे में जानकारी ली जो उनके बारे में जानकारी नहीं मिली फिर मैने भाई के आफिस में पता किया तो पता चला कि तीन चार दिन से ऑफिस नहीं आये है मैने स्कूल में जहॉ बच्चे ंपढ़ते थे पता किया तो अपचारी बालक एवं मृतक भतीजा दोनों बच्चे स्कूल नहीं आये थे फिर मै वापिस भैया के घर पर आया मैने कमरे के बाहर की खिड़की का कॉच खिसकाया तो अंदर से बहुत तेज दुर्गंध आ रही थी । मैने तुरंत थाना जाकर पुलिस को सूचना दी, पुलिस के आने पर ताला तोड़कर अंदर गये तो जिस कमरे से दुर्गंध आ रही थी उसमें भी ताला लगा था, कमरे का ताला तोड़ने पर कमरे के अंदर देखा तो तीन शव जमीन पर कपड़े से ढके पड़े थे कपड़ा हटाकर देखा तो शव मेरे भाई -भाभी और छोटा भतीजे के थे, कमरे में खून फैला हुआ है और कमरे से दुर्गंध आ रही थी तीनों का शरीर व चेहरा नीला पड़ा हुआ था तीनों के मुॅंह नाक से खून निकला हुआ था तीनों के शवों को देखने पर व दुर्गध से ऐसा लग रहा था जैसे इनकी हत्या तीन-चार दिन पहले की गयी हो । बड़ा भतीजा/अपचारी बालक घर पर नहीं था और मोबाइल भी बंद कर लिया था । मुझे शंका है कि मेरे बड़े भतीजे/अपचारी बालक ने ही बड़े भाई -भाभी एवं छोटे भतीजे की हत्या कारित करने की नियत से जहरीला पदार्थ खिलाकर हत्या कर दी है और घर के बाहर से ताला बंद कर कहीं भाग गया है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान यह पाया गया कि मृतक के शव पर बंदूक की गोली के छर्रे लगने के घाव, मृतिका के गले में स्कार्फ लिपटा हुआ एवं बंदूक की गोली के छर्रे के घाव तथा मृतक लड़के की गर्दन मरोड़कर हत्या का संदेह पाये जाने पर शवों का पी.एम कराया गया घटना स्थल के फोटाग्राफ खीचें गये तथा भौतिक साक्ष्य एकत्रित की गई, अपचारी बालक के फिंगर प्रिंट लिये गये , संदेह के आधार पर अपचारी बालक से पूछताछ की गई पूछताछ में उसने घटना के संबंध में अपराध करना स्वीकार किया, अपचारी बालक से पूछताछ में उसके कब्जे से महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित की गई, साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मकरोनिया द्वारा भा.द.वि की धारा- 302, 201 का अपराध अपचारी बालक के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान बाल-न्यायालय में पेश किया गया था किंतु अपचारी द्वारा जघन्य अपराध किये जाने और घटना के समय अपचारी बालक की उम्र 16 वर्ष से अधिक एवं 18 वर्ष से कम होने के कारण किषोर न्याय अधिनियम के तहत माननीय विषेष न्यायालय पाक्सों के न्यायालय में प्रकरण प्राप्त होने पर अपचारी बालक के प्रकरण का विचारण किया गया। अभियोजन द्वारा 36 अभियोजन साक्षियों को परीक्षित कराया गया एवं 129 दस्तावेजों को प्रमाणित कराया गया एवं प्रकरण से संबंधित संपत्तियों को प्रस्तुत कर उन्हें न्यायालय में चिन्ह्ति कराया गया। अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत माननीय विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने अपचारी बालक को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।
नोट- प्रकरण में अपचारी बालक नाबालिग होने से बालक का नाम छुपाया गया है एवं मृतकगण एवं फरियादी बालक के सगे-संबंधी होने से बालक की पहचान उजागर न हो इस कारण से उनके नामों का उल्लेख नहीं किया गया है और उक्त विज्ञप्ति प्रसारित करते समय बालक की पहचान उजागर न करने का ध्यान रखा जावे।