बारिश में शहर की ऐसी की तैसी करने पर उतारू हैं अमृत मिशन के कर्ता-धर्ता
बिलासपुर. सरकार का मौसम विभाग मानसून के धमकने की चेतावनी दे रहा है। गर्जन, तिडकन के साथ कुछ दिनों पहले हुई बारिश ने भी जनता को आगाह करने की अपनी ड्यूटी भी निभा दी है। हर कोई… फिर वो विद्युत मंडल हो या गांव का किसान… सभी मानसून पूर्व की तैयारियों में लग चुके हैं। सभी को पता है कि अगर बारिश आने के पहले उन्होंने अपनी तैयारियां पूरी नहीं की तो झमाझम बरसात हालत खराब कर सकती है। लेकिन शहर को चौबीसों घंटे भरपूर पानी सप्लाई करने का लाली पाप दिखाकर शुरू की गई, अमृत मिशन योजना, एक बार फिर बिलासपुर को सीवरेज के नासूर की तरह गड्ढापूर बनाने पर आमादा दिख रही है। बिलासपुर के लोग इसके पहले सीवरेज के कब्र की खुदाई के दौरान खोदापुर का दर्द झेल चुके हैं। पूरे साल भर सुस्त रहने वाला अमृत मिशन बारिश के सर पर आते ही एकाएक इतना तेजी से सक्रिय हो गया है। और जगह-जगह कुछ इस तरह नये-नये गड्ढे खोद रहा है..मानो अमृत मिशन के डेढ़ होशियार अधिकारियों को “गौऊरा चघ गया” हो। नेहरू चौक से राजेंद्र नगर तिराहे के बीच, डा मढरिया वाली गली, पुराना मीना बाजार का रास्ता, और मुंगेली नाका चौक समेत कई और जगहों पर अमृत मिशन वालों ने नई-नई, और भयंकर खुदाई शुरू कर दी है। उन्हें शायद इस बात का अनुमान ही नहीं है कि अगर समय पर बरसात की झमाझम शुरू हो गयी तो, उनके गड्ढों से शहर की क्या हालत होगी।कायदे से इस समय अमृत मिशन वालों को जगह-जगह किए गए गड्ढों को पाटने और व्यवस्थित करने का काम युद्ध स्तर पर करना चाहिए। यह समय काम को फैलाने का नहीं, वरन काम को समेटने का, अधिक है। और ऐसा ना कर यदि अमृत मिशन वाले सर पर बरसात आने के बावजूद नई नई जगहों पर गड्ढों की खुदाई का सिलसिला चालू रखेंगे तो बारिश में इस शहर का और यहां रहने वालों का भगवान ही मालिक है।अमृत मिशन वालों की मनमानी खुदाई और सर पर आ चुकी, बारिश को देखते हुए बिलासपुर कलेक्टर तथा निगम आयुक्त से यह गुजारिश करना कतई गलत नहीं होगा कि वह कृपया शहर को खोदापुर बनाने में लगे अमृत मिशन वालों का कान पकड़कर, उन्हें चारों ओर फैला काम समेटने और जहां-तहां खुदी पड़ी सडकों और गड्ढों को पाटने तथा सड़कों को दुरुस्त करने का निर्देश दें।