पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बीमार, जांच, इलाज और दवा के लिए दर-दर भटक रहे हैं मरीज

 

रायपुर.  बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सरकार की अर्कमण्यता और बदइंतजामी के चलते हैं सरकारी अस्पतालों में जांच, इलाज और दवा के अभाव में मरीज बिना इलाज के ही लौटाए जा रहे हैं, भाजपा के नेता, मंत्रियों के कमीशनखोरी के चलते छत्तीसगढ़ नकली और अमानक दवा खपाने का अड्डा बन चुका है। स्कूली बच्चों तक को स्तरहीन दवा बांट दी गई, बीजापुर में हुए अख़फोड़वा कांड से गरीबों की आंखों की रौशनी छीन ली गई लेकिन जिम्मेदार अब तक मौन हैं। ठोस कार्रवाई तो दूर, किसी भी अमानक दवा के उत्पादक और सप्लायर कंपनियों के खिलाफ इस सरकार ने अब तक एफआईआर तक नहीं लिखाई गई है।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय में संचालित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में ओपन हार्ट सर्जरी और ऐंजियोप्लास्टी पिछले 2 माह से ही बंद है, अब सरकार की दुर्भावना से चिकित्सा सामग्रियों की सप्लाई नहीं होने के कारण एंजियोग्राफी भी बंद हो गया है। एसीआई में कैथेटर, वायर और बलून तक नहीं है। भुगतान नहीं होने से सप्लायर कंपनियों ने जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति बंद कर दिया है, नई व्यवस्था तो दूर यह सरकार पहले से बनी बनाई व्यवस्था को भी चला नहीं पा रही है।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह सरकार नहीं चाहती कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था सुधारे। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग ढाई गुना बेहतर किया, 8 नये मेडिकल कालेज खोले, सभी जिला अस्पतालों को मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में परिवर्तित किया, किडनी के मरीजों के लिए जिला अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई, एक्सरे, सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, एमआरआई, खून पेशाब की जांच की सुविधा के साथ आवश्यक दवाओं की निः शुल्क व्यवस्था कराई, हाट बाजार क्लीनिक, मोहल्ला क्लिनिक, शहरी स्लम चिकित्सा योजना और हमर अस्पताल शुरू करके स्वास्थ्य सेवा को आम जनता के चौखट तक पहुंचाया, सभी ब्लॉक अस्पतालों में भर्ती की स्वास्थ्य बनाई, लेकिन सरकार बदलने के बाद विगत दो वर्षों में पूरी व्यवस्था चरमरा गई। डी के एस में डायलिसिस की 54 में से 45 मशीनें बंद है, 35 में से 18 वेंटिलेटर खराब हैं, ऑक्सीजन प्लांट तक बंद है, अस्पतालों में जांच के लिए आवश्यक रिएजेंट तक नहीं है, रखरखाव के अभाव में चिकित्सा उपकरणों की स्थिति खराब हो चुकी है, गरीब मरीजों को बिना जांच और इलाज के लौटाया जा रहा है, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने के बजाय थोथी बयानबाजी और रिलबाजी में मस्त हैं।

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