जज ने राष्‍ट्रविरोधी आरोपी छात्र को सुनाई अजीब सजा, कहा- अब जेल में जीन ऑस्‍टीन की जगह शेक्‍सपीयर को पढ़ना

नई दिल्‍ली. एक छात्र को राष्‍ट्रविरोधी गतिविधियों के कारण दोषी मानते हुए दो साल की सजा दी गई थी. तब उसे जेल जाने की वजह क्‍लासिक साहित्‍य पढ़ने को कहा गया था लेकिन जब उसने इसमें इंटरेस्‍ट नहीं दिखाया तो जज ने कहा कि अब शेक्‍सपीयर को पढ़ो.

दो साल की सुनाई गई थी सजा

दरअसल ब्रिटेन में एक दक्ष‍िणपंथी चरमपंथी छात्र को नव-नाज़ी विचारधारा के कारण पिछले साल अगस्‍त में लीसेस्‍टर क्राउन कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई गई थी. छात्र के ऊपर इस बात का आरोप साबित हुआ था कि जॉन ने हार्ड ड्राइव में डाउनलोड कर 67,788 दस्तावेज जमा किए थे जिसमें श्वेत वर्चस्ववादी और यहूदी विरोधी सामग्री थी. आतंकवाद अधिनियम की धारा 58 के तहत ये आरोप सिद्ध हुए थे जिसमें अधिकतम 15 साल की कैद की सजा है.

सजा देने के फैसले की पिछले साल व्यापक आलोचना

जॉन को जेल की सजा देने के फैसले की पिछले साल व्यापक आलोचना हुई थी क्योंकि इस तरह के विचार रखने वालों को लोग सजा देना कुछ समूह गलत मानते हैं. अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन क्यूसी ने तब अदालत से इसकी समीक्षा करने की अपील की थी.

जज ने पूछे थे ये सवाल

तब न्यायाधीश टिमोथी स्पेंसर क्यूसी ने कहा कि क्या आपने डिकेंस को पढ़ा है? ऑस्टीन? ‘प्राइड एंड प्रेजुडिस’ और डिकेंस की ‘ए टेल ऑफ़ टू सिटीज़’ से शुरू करें. ‘शेक्सपियर की बारहवीं रात’, हार्डी के बारे में सोचो. ट्रोलोप के बारे में सोचो. जब छात्र ने कहा कि उसने अपनी डिग्री के दौरान जीन ऑस्‍ट‍ीन को पढ़ा है तो जज ने कहा कि अब तुम शेक्‍सपीयर को पढ़ो.

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