शासन-प्रशासन की निगरानी में हो रहे अवैध उत्खनन के खिलाफ विपक्ष ने भी साधी चुप्पी
बिलासपुर. शहर में साल-डेढ़ साल से रेत का अवैध उत्खनन जोरों से किया जा रहा है। रसूखदारों के द्वारा कराये जा रहे अवैध उत्खनन के चलते नदियों के साथ-साथ पर्यावरण को भारी क्षति हो रही है। खनिज विभाग के अधिकारियों की काली करतूत से राज्य शासन को करोड़ों की रायल्टी का नुकसान हो रहा है। शासन प्रशासन की निगरानी में हो रहे अवैध उत्खनन के खिलाफ विपक्ष ने भी चुप्पी साध रखी है जिसके चलते रेत माफियाओं का आतंक बढ़ते ही जा रहा है। सामाजिक संगठनों के अलावा शहरवासी भी अवैध उत्खनन के विरोध को लेकर सामने नहीं आ रहे हैं। रेत की कालाबाजारी रोकने में अगर सत्ता में बैठे लोग कमजोर हो गए हैं तो आखिर इसका निराकरण कौन करेगा। नदी किनारे बसने वाले गांवों में बेतरतीब गति से रेत लोड वाहन चलने से आये दिन हादसे हो रहे हैं।
अरपा बचाओ आंदोलन को लेकर जो लोग उद्गम स्थल से लेकर संगम स्थल तक निरीक्षण कर रहे हैं वे लोग भी गंभीर नहीं है। इसका दुष्परिणाम अरपा नदी पर पड़ रहा है। चारों तरफ रेत माफिया सक्रिय है दिन रात नदी से रेत निकालने का काम निरंतर जारी है जिसके चलते भू-जल स्तर से लेकर पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधी कान बंद कर आंखों में पट्टी बांध चुके हैं। जिला प्रशासन, खनिज विभाग, सत्ता में बैठे लोग और संबंधित ग्राम पंचायतों के संरक्षण में अवैध उत्खनन का कारोबार इन दिनों चरम सीमा पर है। यूपी और एमपी की तर्ज पर रेत उत्खनन करने वाले माफिया गुण्डागर्दी पर उतारू हो गए हैं। रेत के बिना मकान नहीं बनाया जा सकता, इसके निरंतर भाव भी बढ़ रहे हैं उपभोक्ताओं को जमकर लूटा जा रहा है। यह देखने के बाद भी प्रशासन बैठे अधिकारी नतमस्तक होकर काम कर रहे हैं। इसके पीछे किसका हाथ है कोई खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है।
जैसा प्रतिकार होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा
सबसे बड़ा दुखत स्थिति यह है कि सत्ता में जो लोग बैठे हैं वो भी रेत का हो रहे अवैध उत्खनन पर प्रश्न उठाते हैं तो आखिर इसका निराकरण कौन करेगा? विपक्ष भी चुपचाप शांत बैठा हुआ है जैसा प्रतिकार होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है।
-पीआर यादव, कर्मचारी नेता बिलासपुर छ.ग.