हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘मेरी मुनिया’ नाटक का हुआ मंचन

वर्धा : महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित एवं भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘सिनेमा, साहित्य और समाज का अन्तःसंबंध’ विषय पर सोमवार 24 फरवरी को ग़ालिब सभागार में दो दिवसीय (24-25) राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत प्रदर्शनकारी कला विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. विधु खरे दास निर्देशित ‘मेरी मुनिया’ नाटक का मंचन किया गया। नाटक में प्रवीण कुमार पाण्‍डेय के भावविभोर कर देने वाले अभिनय को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया। नाटक में प्रकाश व्‍यवस्‍था सुहास नगराले व चंदन कुमार ने की थी। संगीत अनिमेष दास ने दिया।  नाटक की प्रस्‍तुति में प्रदर्शनकारी कला विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश भारती, सहायक प्रोफेसर डॉ. सतीश पावडे,  एवं गांधी एवं शांति अध्‍ययन विभाग के अध्‍यक्ष राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के संयोजक डॉ. राकेश मिश्रा, एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार राय एवं कोलाज कल्‍चरल सोसाइटी का विशेष सहयोग रहा।

मेरी मुनिया नाटक एक विचार बिंदु से आरंभ होकर कोलाज कल्चरल सोसाइटी के द्वारा विकसित किया गया। यह नाटक महिला सुरक्षा तथा शिक्षा को केंद्र में रखता है। नाटक पिता-पुत्री की कथा पर आधारित है। पिता अपनी बेटी मुनिया को पाल-पोस कर बड़ा करता है। मुनिया की मां की बचपन में ही मृत्यु हो जाती है। मुनिया के माता पिता एक सपना देखते है कि,अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर उसे एक दिन बड़ा अफसर बनायेगे परंतु उनका ये सपना चकनाचूर हो जाता है। महिलाओं के प्रति हिंसा वैश्विक समस्या है। यह समस्या आज विकराल रूप धारण कर चुकी है। आखिर इस समस्या का समाधान क्या है? अखिर इस समस्या का दोषी कौन है? हम किसे मानते है? आखिर हम किस दिशा में जा रहे है? प्रस्तुत नाटक इन्ही प्रश्नों को उठाता है। इस दौरान संगोष्‍ठी में पधारे प्रतिभागी, विवि के अध्‍यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित रहे।

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