सत्ता परिवर्तन होते ही हरकत में आया पुलिस महकमा
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. सत्ता परिवर्तन होते ही पुलिस महकमा हरकत में आ गया है। कांग्रेस शासन काल के दौरान पुलिस थानों में रेट लिस्ट चस्पा करने का बयान सामने आया था। पुलिस जांच में घोर लापरवाही और धारा जोडऩे कम करने के नाम पर जो खेल खेला गया, गंभीर मामलों में लिप्त आपराधियों को हिरासत में नहीं लिया गया। वही पुलिस महकमा इन दिनों सक्रिय हो गई है। अब तो न चुनाव है और न कोई पर्व फिर भी आदतन बदमाशों को थानों में बुलाकर समझाईश दी जा रही है। हत्या के मामले में फरार आरोपी स्वयं अपने आप को कानून के हवाले कर रहा है, इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली से आम जनता भरोसा उठ चुका है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन होते ही पुलिस द्वारा जो धर पकड़ किया जा रहा है, अवैध चखना दुकनों को हटाने की कार्रवाई की जा रही है वो पहले क्यों नहीं किया गया?
निजात अभियान के दायरे से बाहर जिले चखना सेंटरों से पुलिस व आबकारी को क्या लाभ होता था? रसूखदार लोगों के कहने पर कानून व्यवस्था से जिस तरह जो खेल खेला गया है अब हिसाब-किताब का समय आ गया है। गुंडागर्दी के चलते शहर को अपराध का गढ़ कहा जा रहा है। कांग्रेस शासन काल में सिर चढ़कर बोलने वाले पुलिस के कुछ दागदार अधिकारी कर्मचारी अब सहमे हुए हैं क्यों उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि आगामी दिनों में क्या होने वाला है। शहर में जुआ-सट्टा का बाजार सजाया गया है। जगह-जगह अवैध शराब, गांजा, मेडिकल नशे का कारोबार संचालित हो रहा है। शराब दुकानों के आस-पास पीने वालों से जिस बेतरतीब तरीके से उगाही की गई, चखना दुकान संचालकों के इशारे पर निर्दोश लोगों परेशान किया गया। आज वहीं पुलिस उन्हीं चखना सेंटर संचालकों पर कार्रवाई करने पर मजबूर हो गई है। अब देखना यह है कि सत्ता परिवर्तन के बाद रिश्वतखोरी करने वाले पुलिस के नामी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी, या फिर से आम जनता को गुंडागर्दी बेलगाम कानून व्यवस्था का सामना करना पड़ेगा।