त्राटक के अभ्यास से एकाग्रता एवं दृष्टि शक्ति बढ़ती है : योग गुरु महेश अग्रवाल
भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक योग केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है |योग प्रशिक्षण के दौरान केंद्र पर आने वाले साधकों को एकाग्रता के अभ्यास के बारे में, दृष्टि की शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है उसके बारे में बताया जाता है।
योग गुरु अग्रवाल ने बताया कि त्राटक का अर्थ होता है, लगातार टकटकी लगाकर देखना। त्राटक के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है। मन बहुत शक्तिशाली है, लेकिन इच्छाओं और ऊर्जा को नष्ट करने वाले खेल-तमाशों आदि के माध्यम से मन की यह शक्ति चारों ओर बिखर गई है। यदि हम इस बिखरी हुई मानसिक शक्ति को आध्यात्मिक या भौतिक किसी भी एक उद्देश्य की पूर्ति के लिये उपयोग में लायें तो हमें निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। हम निरन्तर ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त सूचनाओं के विस्फोट की चपेट में रहते हैं। अनगिनत विचार हमारे मन से होकर गुजरते रहते हैं और उनके प्रति हम अनभिज्ञ ही रहते हैं। अपनी मानसिक क्रियाशीलता के प्रति हम तभी जागरूक होते हैं। जब हम विश्रांत होकर कुछ हद तक इन्द्रियों के प्रति अपनी जागरूकता या उन्मुखता को कम कर देते हैं। आंतरिक या बाह्य किसी एक वस्तु पर एकाग्र होने के लिए मन को नियंत्रण में रखना होगा ताकि वह विभ्रान्त न हो सके। इसका एक उपाय यह है कि एकाग्रता के लिए किसी ऐसी चीज का चुनाव कर लें जो मन को शान्ति दे और उसे स्थिर बनाये। इस उद्देश्य से ‘ॐ’ मंत्र, फूल, गुरु का चित्र, कोई देवी-देवता या मोमबत्ती की लौ में से कुछ भी चुना जा सकता है। त्राटक का अभ्यास प्रारम्भ करने के लिए मोमबत्ती की लौ सर्वाधिक आसान और व्यावहारिक है।
त्राटक की दो अवस्थायें हैं, बाह्य त्राटक और अन्तर्नाटक। बाह्य त्राटक में मन को बाह्य पदार्थ पर एकाग्र किया जाता है। अप्रशिक्षित मन के लिये यही आसान है, क्योंकि मन बाह्य पदार्थों से जुड़ा रहना अधिक पसन्द करता है। आंतरिक प्रतीक या बिन्दु पर ध्यानस्थ होते हैं तब मन तुरन्त ऊब कर विचलित होने लगता है। अन्तर्नाटक में मन को अन्तर्मुख होने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्द्रियों के माध्यम से कार्य करते रहने पर मन की शक्ति व्यय होती है। लेकिन जब इन्द्रियों से हटाकर आंतरिक वस्तु पर उसे केन्द्रित किया जाय तब उसे शक्ति प्राप्त होती है।
त्राटक के अभ्यास से अनेक लाभदायक प्रभाव होते हैं। त्राटक का नियमित अभ्यास ध्यान और स्मरण शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। यह आँखों की मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाकर दृष्टि शक्ति बढ़ाता है। त्राटक से आंतरिक ऊर्जा का भंडार खुल जाता है। भारत में रहस्यमयी गुप्त शक्तियाँ प्राप्त करने के लिये त्राटक सबसे महत्त्वपूर्ण अभ्यास माना जाता है। ईसाइयों में भी प्रतिमाओं, पवित्र चित्रों और धार्मिक प्रतीकों पर त्राटक किया जाता है, यद्यपि वे इस तथ्य के प्रति जागरूक नहीं हैं।
त्राटक से एकाग्रता बढ़ती है, क्योंकि इससे चेतन ऊर्जा को एक बिन्दु, ध्यान के केन्द्र बिन्दु की ओर उन्मुख किया जाता है। यह अभ्यास स्वतः ध्यान की ओर ले जाता है। प्रारम्भिक अभ्यासियों को भी कम समय में ही इस प्रकार के अनुभव होने लगते हैं। त्राटक का अभ्यास अधिकतम स्थिर आसन में करना चाहिये। यद्यपि कुर्सी पर बैठकर या सुखासन में भी यह अभ्यास किया जा सकता परन्तु अधिकाधिक स्थिर होकर सिद्धासन, सिद्धयोनि आसन या है पद्मासन में ही इसका अभ्यास करना श्रेयस्कर है।
त्राटक बाह्य हो या आंतरिक, इसका अभ्यास करते समय पलकों को झपकाना नहीं चाहिए। दृष्टि भी बिल्कुल स्थिर रहनी चाहिए। प्रारम्भ में यह भले ही कठिन प्रतीत हो, पर अभ्यास के साथ बहुत सरल हो जाता है। इसमें महत्त्वपूर्ण बात है कि आँखों को तनावरहित रहना चाहिये। आंतरिक बिम्बों को देखने के लिये यह आवश्यक है। मन को सिर्फ वस्तु या बिम्ब पर ही टिकाये रखना है। यदि मन अन्य बातें सोचता हो तो धीरे से उसे खींच कर एकाग्रता की वस्तु पर ले आना चाहिये।
एकाग्रता की वस्तुएँ – कोई भी वस्तु एकाग्रता के लिये उपयोग में लाई जा सकती है। निम्नांकित चीजों का उल्लेख सझाव के तौर पर किया जा रहा है – मोमबत्ती की लौ, काला बिन्दु, स्फटिक, नासिकाग्र, भ्रूमध्य बिन्दु, शिवलिंग, आकाश, जल, चाँद, तारा, अपनी ही छाया, अन्धकार, शून्य, आईना, यन्त्र या मण्डल। इष्टदेवता या आपका अतीन्द्रिक प्रतीक। उसमें से त्राटक के लिए मोमबत्ती का उपयोग कई कारणों से उपयोगी मानते हैं। यह विशेष रूप से प्रभावकारी होती है, क्योंकि यह आँखों और मन के लिए चुम्बक का काम करती है। इसमें चमक होती है, अतः अन्तर्नाटक का अभ्यास करते समय आँखें बन्द करने के बाद इसका बिम्ब बहुत स्पष्ट दिखाई पड़ता है। पहले बाह्य त्राटक किया जाता है, इसके बाद अंतर्नाटक। बाह्य त्राटक का अभ्यास करते समय खुली आँखों से जो लौ दिखाई पड़ती है, उसी के बिम्ब का अंतर्नाटक में उपयोग किया जाता है। त्राटक में एकाग्रता के लिए आप जो भी चीज चुने यथा मोमबत्ती, उसे आँखों की सीध में एक हाथ की दूरी पर रखिए। अगर दृष्टिदोष हो तो मोमबत्ती को ऐसी जगह पर रखिये कि वहाँ दो न दिखाई पड़ें। अभ्यास करते समय आँखें बन्द करने के बाद बिम्ब इधर-उधर, ऊपर-नीचे भागेगा, इसे किसी एक स्थान पर या अधिकांशतः भ्रूमध्य बिन्दु पर केन्द्रित करने का प्रयास करें।