नई राजधानी के किसानों की समस्या रमन सरकार की देन
रायपुर. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 2006 और 2013 में पुनर्वास योजना के नाम पर रमन सिंह की सरकार ने नई राजधानी के किसानों को लगातार ठगा है। आपसी सहमति से तय किए गए पुनर्वास योजना को यदि ईमानदारी से लागू किया गया होता तो आज किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय नए रायपुर के किसान लगातार आंदोलनरत रहे, दिल्ली तक पदयात्रा की पर तत्कालीन रमन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगा, आज यही भाजपाई बेशर्मी से तथ्यहीन आरोप लगाकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार किसानों की मांगों को लेकर बेहद गंभीर है, संवेदनशील है। रमन सरकार के दौरान नई राजधानी के किसानों से हुए अन्याय और अत्याचार की समीक्षा करने तथा किसानों की मांग पर चर्चा के लिए तीन वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की कमेटी गठित किया गया है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर और नगरीय निकाय मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया नई राजधानी क्षेत्र में 42 गांव के प्रभावित किसानों, किसान नेता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर उचित निर्णय लेंगे। नवा रायपुर के किसानों की समस्या, रमन सरकार के छल, कपट, जुमला और वादाखिलाफी का ही प्रमाण है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि नवा रायपुर के आंदोलनरत किसानों की ज्यादातर मांगे पूर्ववर्ती रमन सरकार के दौरान 2006 और 2013 में तय किए गए पुनर्वास योजना के तहत आपसी सहमति के बाद रमन सरकार द्वारा किए गए छल, कपट के खिलाफ़ है। रमन सरकार के कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के चलते 14,000 करोड़ से अधिक की राशि बिना बसाहट के केवल रोड रास्तों में फूंका गया, कमर्शियल कांप्लेक्स जैसे निर्माण में लागत 5 गुना बताई गई, दो-दो मंजिल के बिल्डिंग में 4-4 लिफ्ट लगाते रहे पर किसानों को भुगतान के लिए हमेशा कोताही बरती गई। रमन सरकार ने 2011 से एनआरडीए का ऑडिट नहीं करवाया था जिसके कारण सीएजी की आपत्ति पर कई तरह के भुगतान पर रोक लगी है लेकिन अब कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऑडिट की प्रक्रिया को आरंभ कर दिया है। रमन सरकार द्वारा नई राजधानी के प्रभावित 42 गांव में से केवल 2 गांव के किसानों को आवास दिया गया था वह भी फ्लैट। पुनर्वास नीति के अनुसार उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रता अनुसार दिया जाना था। भाजपा यह बताएं कि किसान अपने मवेशी क्या तीसरे-चौथे फ्लोर में बांधेंगे? राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस सरकार के समय के शिलान्यास स्थल चेरिया-पौता की जमीन भाजपा शासन द्वारा निजी संस्थान को दे दी गई। षड्यंत्र पूर्वक अनेकों भू-माफिया भाजपा नेताओं की जमीन को अधिग्रहण से बाहर रखा गया और बिना मुआवजा दिए ही किसानों की जमीन अधिग्रहित कर ली गई। भूपेश बघेल सरकार किसानों, किसान संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर उनकी मांगों के शीघ्र निराकरण के लिए प्रयासरत है।