हिंदी को भविष्य की भाषा विकसित करने का दायित्व हिंदी विश्वविद्यालय के कंधे पर : पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी
* हिंदी विश्वविद्यालय का 28वां स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाया गया
* लक्ष्मीबाई केळकर छात्रावास का किया लोकार्पण
* विदेशी हिंदी सेवी पर केंद्रित कैलेंडर का किया विमोचन
वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के 28वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की कार्य-परिषद् सदस्य पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि हिंदी को भविष्य की भाषा के रूप में विकसित करने का बहुत बड़ा दायित्व महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय पर है। विश्वविद्यालय का 28 वाँ स्थापना दिवस बुधवार, 08 जनवरी को मनाया गया। इस उपलक्ष्य में लक्ष्मीबाई केळकर छात्रावास का लोकार्पण पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी के कर कमलों से किया गया।
कस्तूरबा सभागार में स्थापना दिवस का मुख्य कार्यक्रम कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी, विशिष्ट अतिथि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के आचार्य डॉ. इमरै बंघॉ, कार्य-परिषद् के सदस्य गोविंद सिंह, प्रो. कृपाशंकर चौबे, प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर, डॉ. रामानुज अस्थाना एवं कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील मंचासीन थे। इस अवसर पर मंचस्थ अतिथियों द्वारा ‘विदेशी हिंदी सेवी’ पर केंद्रित विश्वविद्यालय के वर्ष 2025 के कैलेंडर का विमोचन किया गया।
मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने हिंदी महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि इस देश को दो शक्तियां अखंड भारत बनाती हैं। एक जीटी रोड और दूसरी हिंदी। विश्वभर में हिंदी की बात हो रही है। हिंदी के बिना गुजारा नहीं है। पूरी दुनिया हिंदी के साथ-साथ गांधीजी के विचारों का अनुसरण करना चाहती है। गांधी और अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की पहचान विश्व पटल पर बन रही है। हिंदी एक आर्थिक शक्ति और व्यापार की भाषा बनी है। उन्होंने विश्वास जताया कि जिस प्रकार विश्व में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का नाम लिया जाता है उसी प्रकार भविष्य में हिंदी विश्वविद्यालय का नाम लिया जाएगा और यह विश्वविद्यालय विश्वभर में ज्ञान का दीपक जलाएगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. इमरै बंघॉ ने कहा कि हिंदी मुगल साम्राज्य की संपर्क भाषा रही है। हिंदी का हिंदुस्तान में विशेष स्थान है। उन्होंने हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता और प्रभाव पर अपनी बात रखते हुए हिंदी के सीमित होने पर खेद भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम हिंदी का सम्मान तो करते हैं परंतु इस्तेमाल नहीं करते। लोग अंग्रेज़ी के पीछे दौड़ने लगे हैं और लोकभाषाओं को भूल रहे हैं। मैं भले ही हंगरी का निवासी हूँ परंतु मुझे विगत 38 साल से हिंदी के प्रति आत्मीयता है। हिंदी से भावनात्मकता मिलती है और मैं इसे भारत में बोलता हूँ तब मैं घर जैसा महसूस करता हूँ। उन्होंने कहा कि भाषाओं को जानने से भाषाओं की सीमाओं को विस्तार दिया जा सकता है।
कार्य-परिषद् के सदस्य गोविंद सिंह ने कहा कि इस विश्वविद्यालय से शुरुआती दौर से जुड़ा हूँ। यह विश्वविद्यालय महज 28 वर्ष का यानी शैशव अवस्था में है। हमें लंबी यात्रा करनी है। शिक्षक और विद्यार्थियों के माध्यम से यह विश्वविद्यालय ऐसा शैक्षिक काम करेगा जिसे भविष्य याद रखेगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने पद्मश्री प्रो. बेदी और डॉ. इमरै बंघॉ के वक्तव्य का संदर्भ देते हुए कहा कि हिंदी हमारा घर है। यह हमारी घर की भाषा है। हमें सभी भारतीय भाषाओं के साथ संवाद करते हुए आगे बढ़ना चाहिए, हिंदी विश्वविद्यालय का यह मूल उद्देश्य भी है। स्थापना दिवस पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दी और कहा कि हमें विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।
स्वागत भाषण में प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि सन् 1878 में भारतेन्दु ने हिंदी विश्वविद्यालय का सपना देखा। उनके सपने के अनेक वर्षों बाद हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। अब हमें विश्वविद्यालय को मेहनत और लगन से कार्य कर आगे बढने का संकल्प लेना चाहिए। कार्यक्रम में पद्मश्री प्रो. बेदी और डॉ. इमरै बंघॉ को कुलपति प्रो. सिंह के हाथों हिंदी सेवी सम्मान से नवाज़ा गया। सम्मान पत्र का वाचन डॉ. रामानुज अस्थाना ने किया। विश्वविद्यालय का एक वर्ष का प्रगति प्रतिवेदन प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि 08 विद्यापीठ, 28 विभाग और 03 केंद्र के माध्यम से विश्वविद्यालय का विस्तार हुआ है। पिछले वर्ष भर में अनेक अकादमिक गतिविधियों का आयोजन कर विश्वविद्यालय ने अपनी शैक्षिक प्रगति की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
स्थापना दिवस का प्रारंभ गांधी हिल्स पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर समता भवन में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित कर किया गया। इसके पश्चात प्रथमा भवन के प्रांगण में कुलपति प्रो. सिंह द्वारा विश्वविद्यालय का ध्वज फहराया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप-प्रज्ज्वलन, कुलगीत एवं गांधीजी के फोटो पर पुष्पाजंलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन कार्य-परिषद् के सदस्य जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने किया। कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील ने आभार माना। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति, नागपुर की प्रांत संयोजिका रोहिणीताई आठवले, वर्धा के स्वयंसेविका अपर्णाताई हरदास, उज्वलाताई केळकर, अरुणाताई माहेश्वरी, अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, अध्यापक, कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।